वाराणसी: लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के मतदान 19 मई को होने हैं. इस बार नेताओं ने जमकर अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया है. कोई किसी को मारने की बात कर रहा है तो कोई किसी के पुरखों को भी चुनावी रण में खींच ले रहा है. लोग राजनीति के चक्कर में भाषा की मर्यादा ही भूल चुके हैं. इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि इन अमर्यादित भाषाओं को लेकर लोगों की क्या राय है.
नेताओं की बदजुबानी से गिर रही लोकतंत्र की साख, क्या सोचती है काशी की जनता
2019 लोकसभा चुनाव में इस बार कुछ अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां हर चुनाव में राजनीतिक दल पब्लिक हित की बात करते हुए विकास और अन्य मुद्दों पर वोट मांगते थे. लेकिन इस बार चुनाव किसी व्यक्ति विशेष तक ही सिमट कर रह गया है. शायद यही वजह है कि हर दल एक दूसरे पर व्यक्तिगत रूप से हमले बोल रहे हैं. वहीं अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग भी जमकर प्रयोग कर रहे हैं.
नेताओं की अमर्यादित भाषा.
क्या कहती है काशी की जनता
- काशी के लोगों ने राजनीति में अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने वालों पर करार प्रहार किया है.
- काशी के लोगों का कहना है कि इस तरह की भाषाओं का प्रयोग करना सरासर गलत है.
- यदि कोई भी व्यक्ति अपने प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है तो निश्चित तौर पर यह गलत होगा.
- राजनीति का स्तर विकास और पब्लिक हित के लिए होता है न कि अपने या किसी अन्य पर टीका टिप्पणी करने के लिए.
- गलत शब्दों का प्रयोग करते हुए बुरा भला कहने से राजनीति के स्तर को गिराने के पीछे वर्तमान में कई नेताओं का हाथ है.
- वह अपनी राजनीति को चमकाने के लिए अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग कर रहे हैं जो सरासर गलत है.
काशी की जनता का कहना है कि जिस तरह से गलत और गंदी भाषा गालियों का प्रयोग 2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार में किया जा रहा है उसके बाद यह कहा जा सकता है कि इस बार का चुनाव विकास या अन्य किसी मुद्दे पर लड़ा ही नहीं जा रहा है. इस बार के चुनाव को गालियों और बुरी बातों के लिए याद किया जाएगा तो निश्चित तौर पर शर्मसार करने वाला है.