देवली (टोंक). उपखंड के आंवा गांव में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा संचालित समर्थ योजना के अंतर्गत कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन आचार्य विद्यासागर हथकरघा प्रशिक्षण और उत्पादन सहकारी समिति आंवा में किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कृषि मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी रहे. इस दौरान उन्होंने कहा कि खेती और हथकरघा देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था को सर्वाधिक मजबूती, इन्हीं के द्वारा प्रदान की जाती है. पिछले एक दशक में जिस आर्थिक संकट ने दुनिया को घेरा है, उसने सभी विकसित देशों को विकेंद्रीकरण अर्थव्यवस्था की ओर आकर्षित किया है.
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उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में स्थानीय खपत के लिए स्थानीय उत्पादन की बहुत आवश्यकता है. इसी से हम प्रधानमंत्री के विजन लोकल टू ग्लोबल को प्राप्त कर सकते हैं. हथकरघा के द्वारा बने वस्त्र हस्तचालित मशीनों द्वारा निर्मित होते है. जिसमें किसी प्रकार की पानी और बिजली की आवश्यकता नहीं होती. डॉ. सैनी ने लगातार हथकरघा परिवार की घटती संख्या को चिंता का विषय बताया. उन्होंने बताया कि वर्ष 1995-96 में जहां बुनकरों की संख्या 65.51 लाख थी. वहीं, हथकरघा जनगणना 2019 -20 के अनुसार इनकी लगभग 31.44 लाख रह गई.