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जब खाकी नहीं है साथ, तो कैसे मिलेगा इंसाफ...सुनिए न्याय के लिए दर-दर भटक रहे परिवार का दर्द

इंसाफ की उम्मीद लेकर अक्सर लोग पुलिस के पास जाते हैं, उन्हें उम्मीद रहती है कि खाकी के दर पर न्याय मिलेगा ही मिलेगा. लेकिन अक्सर इसी वर्दी को कुछ पुलिस वाले दागदार कर देते हैं. श्रीगंगानगर से भी पुलिस की ऐसी ही छवि सामने आई है. जहां एक शख्स की मौत हो जाने पर बिना छानबीन के उसे आत्महत्या करार दे दिया गया है और मृतक के परिजन न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. इस पीड़ित परिवार की कोई सुनने वाला नहीं है. आखिर कहां से मिलेगा न्याय?

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Published : Aug 8, 2020, 5:25 PM IST

श्रीगंगानगर के युवक की आत्महत्या का मामला,  Sriganganagar youth suicide case
.न्याय के लिए दर-दर भटक रहा ये परिवार

श्रीगंगानगर.न्याय देने वाली खाकी ही जब पीड़ितों को दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दे, तो फिर इंसाफ की उम्मीदें दम तोड़ने लगती है. यही कारण है कि पुलिस अक्सर सवालों के घेरे में आ जाती है. खाकी ही जब फरियादी की फरियाद सुनने की बजाय उन पर समझौता करने का दबाव बनाने लगे, तो फिर कहां से मिलेगा न्याय? एक ऐसा ही मामला श्रीगंगागनर जिले के श्रीविजयनगर पुलिस थाने से सामने आया है. जहां न्याय के लिए पीड़ित परिवार पुलिस की चौखट पर दर-दर की ठोकरे खा रहा है, लेकिन पुलिस है कि आरोपियों के साथ समझौता करने की बात कह रही है.

.न्याय के लिए दर-दर भटक रहा ये परिवार

जिला कलेक्ट्रेट के बाहर कलेक्टर से न्याय की उम्मीद लेकर आए एक परिवार ने श्रीविजयनगर पुलिस के थाना अधिकारी विक्रम तिवारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. मृतक की बूढ़ी मां और बहन की आंखों से निकलते आंसू यह बताने के लिए काफी हैं कि एक मां का बेटा और बहन के सिर से भाई का साया छिन जाने का दर्द क्या होता है.

दरअसल, मृतक सुनील कुमार विष्णु कॉटन फैक्ट्री के सामने स्थित धान मंडी में पिछले 4 सालों से मुनीम की नौकरी करता था. जो अचानक 18 जून 2020 को लापता हो गया था. जिसके बाद उसी रात 10 बजे आरडी हेड नहर के पास सुनील का मोबाइल फोन और उसकी बाइक बरामद हुई. जिस पर पुलिस ने बिना किसी जांच के इसे आत्महत्या का केस बता दिया.

मृतक के परिजन

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एफआईआर में दर्ज प्रकरण के अनुसार 2 दिन तक ढूंढने पर सुनील की लाश 20 जून को 137 हेड के पास नहर में तैरती हुई मिली. जिसकी सूचना पुलिस थाना श्रीविजयनगर को दी गई. उसके बाद पोस्टमार्टम कर शव परिवारवालों को सौंप दिया गया.

मृतक के परिजनों की मानें तो सुनील कुमार ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उसके साथ धानमण्डी फर्म मालिकों ने मारपीट की है और आत्महत्या करने को उकसाया है. मृतक सुनील कुमार के परिजनों का कहना है कि फर्म मालिक शंभू नागपाल, प्रवीण नागपाल, सलोनी नागपाल, मुनीम दीपू, ईश्वर विनोद, ओम प्रकाश और हरपाल ने षड्यंत्र करके सुनील को जान देने पर मजबूर किया है.

मृतक की बूढ़ी मां

परिजनों का आरोप है कि मृतक के जीमेल अकाउंट से फर्म के मालिक अवैध कारोबार कर रहे थे. वे टैक्सी चोरी करने का काम करते थे. परिजन जांच अधिकारी विक्रम तिवारी पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि मुकदमे में नामजद आरोपी होने के बाद भी पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, बल्कि समझौता करने का दबाव बना रही है. पीड़ित थाना अधिकारी विक्रम तिवारी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राजीनामा करने की बात कह रहे हैं. वहीं पुलिस ने अभी तक ना तो घटना से जुडी सीसीटीवी फुटेज ली है और ना ही मृतक सुनील कुमार के मोबाइल नंबर और लोकेशन निकाला है.

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परिजनों की मानें तो सुनील के बैंक अकाउंट और एटीएम/डेबिट कार्ड का प्रवीण उर्फ पीना राजपाल की बेटी सलोनी नागपाल काफी समय से इस्तेमाल कर रही है. जो कथित तौर पर दिल्ली रहती है. इस संबंध में जांच अधिकारी विक्रम तिवारी को जब बताया गया, तो इस पर भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की और घटना को सामान्य आत्महत्या करार कर दिया.

पीड़ित पक्ष का कहना है कि हत्या संबंधित तमाम कारण दिए जाने के बाद भी पुलिस तमाम आरोपियों के कॉल डिटेल और लोकेशन नहीं निकाल रही है. मृतक सुनील कुमार के मां-बाप और भाई-बहन सुनील को न्याय दिलाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

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