सिरोही. राजस्थान का कश्मीर कहलाने वाला माउंट आबू केवल अपनी सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि यहां ऐसे देवी-देवताओं का भी वास होता है जहां जाने से मन की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं. यहां मां दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक मां अधर देवी शक्तिपीठ भी काफी प्रसिद्ध है. इसे कात्यायनी देवी के नाम से भी जाना जाता है. यही कारण है कि नवरात्रि के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है.
राजस्थान की वैष्णो देवी मानी जाती हैं 'अर्बुदा देवी' अगर कोई माउण्ट आबू आए और अधर देवी का दर्शन नहीं करें तो माउण्ट आबू की यात्रा अधूरी मानी जाती है. इस वर्ष कोरोना के कारण मंदिर में भक्तों की भीड़ नहीं आ रही है. साथ ही मंदिर प्रशासन की ओर से कोरोना गाइडलाइन के तहत ही मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. यहां के बारे में मान्यता है कि यह तीर्थ स्थल देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है.
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क्या है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां मां पार्वती के अधर (होंठ) गिरे थे. इसके बाद से इस पवित्र स्थल को अधर देवी और अर्बुदा देवी के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा के नौ रूपों में छठा रूप मां कात्यायनी का है. माउंट आबू में स्थित अर्बुदा देवी का मन्दिर मां कात्यायनी का ही है, जिसका उल्लेख स्कन्द महापुराण के प्रवास खण्ड में उल्लेखित है.
घने जंगलों में मां की चरण पादुका
मां कात्यायनी के दर्शन के लिए केवल नवरात्र ही नहीं बल्कि हर समय यहां पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इन दिनों यहां मां के दरबार में रोजना बड़ी संख्या में श्रद्वालु दर्शन करने आते हैं. मां अर्बुदा की चरण पादुकाओं का भी अपना अलग ही महत्व है. स्कन्द पुराण के अर्बुद खण्ड के अनुसार मंदिर के पीछे की ओर घने जंगलों में मां की चरण पादुका है, जिसके दर्शन करने से सभी मुरादें पूरी हो जाती है. पुराण के अनुसार मां अर्बुदा ने शुम्भ नामक दैत्य का वध किया था और उसके बाद उसे वहीं जमीन में दबा दिया था. जहां मां के चरण हैं, वहां पर बताया जाता है कि वहां ही शुम्भ दैत्य को दबाया गया है.
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दर्शन के लिए चढ़नी पड़ती है 350 सीढ़ियां
अर्बुदा माता के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं को करीब 350 सीढ़ियां ऊपर चढ़नी पड़ती है. कात्यायनी शक्तिपीठ का मंदिर 5500 वर्ष पुराना है जो विशाल प्राकृतिक गुफा में स्थित है. इसमें एक समय में करीब 100 व्यक्ति बैठ सकते हैं. मंदिर ना सिर्फ पौराणिक मान्यताओं और मां की महिमा के लिए जाना जाता है, बल्कि मंदिर का प्रकृति के बीच स्थित होना श्रद्धालुओं के मन को अभिभूत कर देता है. देश के विभिन्न भागों से पर्यटक यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं.