पाली.पहले कई प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों में फंसे थे, ऐसे में सुकून और सुरक्षा के लिहाज से सभी घर लौटना चाहते थे. अब तक तमाम प्रयासों के बाद जैसे-तैसे श्रमिक अपने गृह राज्य पहुंचे तो उन्हें एक बड़ी समस्या ने घरे लिया. परिवार पालने के लिए इन्हें अपने घरों में ही रोजगार नहीं मिल रहा है. कुछ यही कहानी देश के लगभग हर दूसरे मजदूर की है, जिसने लॉकडाउन के बाद अपने घर लौटने के लिए हर तरह की परेशानी सही है. परेशानी सहने के बाद ये लोग अपने घर तक तो पहुंच गए हैं, लेकिन अब इन प्रवासियों के सामने सबसे बड़ा संकट अपने क्षेत्र में ही रोजगार ढूंढ अपने परिवार का पेट पालने का है.
पाली में भी अब बड़े स्तर पर ऐसा संकट हर क्षेत्र में छाने लगा है. प्रशासन के सामने भी अपने घर लौट आए प्रवासियों के लिए रोजगार और अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. ऐसे में जब ईटीवी भारत ने प्रवासियों से उनकी समस्या जानी तो उनका दर्द जुबां पर छलक आया.
बता दें कि प्रदेश में पाली जिले में ही सबसे ज्यादा प्रवासी आए हैं. लॉकडाउन के बाद पाली में सबसे ज्यादा 1 लाख 88 हजार प्रवासी अपने घर लौटे. ये सभी प्रवासी राजस्थान से बाहर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न प्रदेशों में रोजगार के लिए बसे हुए थे.
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते संपूर्ण देश में लगे लॉकडाउन के कारण इन सभी का उन प्रदेशों में रोजगार छिन गया. ऐसे में कई परेशानियों को झेल कर ये सभी प्रवासी अपने परिवार के साथ अपने घर लौट आए. पाली में लौट आए प्रवासियों के पास जब तक बचा हुआ पैसा था तब तक तो इनका गुजारा हो गया, लेकिन अब इन श्रमिक प्रवासियों के सामने सबसे बड़ा संकट परिवार को पालने का है. अब ये प्रवासी वापस दूसरे प्रदेशों में लौटना नहीं चाहते. ऐसे में ये लोग लॉकडाउन हटने के बाद रोजगार के सिलसिले में अपने ही क्षेत्र में भटक रहे हैं, लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा. ये प्रवासी सरकार के सामने रोजगार उपलब्ध करवाने और विभिन्न योजनाओं से जोड़ने की मांग कर रहे हैं.