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SPECIAL: पहले मालिकों के फरेब और कोरोना ने 'कर्मभूमि' छोड़ने को किया मजबूर, अब 'घर' में भी हुए बेगाने

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Published : Jun 9, 2020, 3:02 PM IST

Updated : Jun 9, 2020, 6:08 PM IST

देश-दुनिया में फैली कोरोना महामारी ने व्यापक तौर बड़ी जनसंख्या को प्रभावित किया है. मजदूर वर्ग पर भी कोरोना का सबसे ज्यादा अलग देखने को मिल रहा है. कई प्रवासी दूसरे राज्यों से अपने राज्य लौटने को मजबूर हैं, कुछ काम बंद होने से तो कुछ कोरोना के डर से. लेकिन अपने गृह राज्य वापस आने के बाद भी मजदूरों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. मजदूरों को अपने ही राज्यों में दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इसी मुद्दे को लेकर जब ईटीवी के संवाददाता ने मजदूरों से बात की तो उन्होंने अपनी परेशानी कुछ यूं बयां की. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट..

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अपने घर लौटे प्रवासियों को नहीं मिल रहा काम

पाली.पहले कई प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों में फंसे थे, ऐसे में सुकून और सुरक्षा के लिहाज से सभी घर लौटना चाहते थे. अब तक तमाम प्रयासों के बाद जैसे-तैसे श्रमिक अपने गृह राज्य पहुंचे तो उन्हें एक बड़ी समस्या ने घरे लिया. परिवार पालने के लिए इन्हें अपने घरों में ही रोजगार नहीं मिल रहा है. कुछ यही कहानी देश के लगभग हर दूसरे मजदूर की है, जिसने लॉकडाउन के बाद अपने घर लौटने के लिए हर तरह की परेशानी सही है. परेशानी सहने के बाद ये लोग अपने घर तक तो पहुंच गए हैं, लेकिन अब इन प्रवासियों के सामने सबसे बड़ा संकट अपने क्षेत्र में ही रोजगार ढूंढ अपने परिवार का पेट पालने का है.

अपने घर लौटे प्रवासियों को नहीं मिल रहा काम

पाली में भी अब बड़े स्तर पर ऐसा संकट हर क्षेत्र में छाने लगा है. प्रशासन के सामने भी अपने घर लौट आए प्रवासियों के लिए रोजगार और अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. ऐसे में जब ईटीवी भारत ने प्रवासियों से उनकी समस्या जानी तो उनका दर्द जुबां पर छलक आया.

महाराष्ट्र, हरियाणा, असम, पश्चिमी बंगाल से लौटे प्रवासी

बता दें कि प्रदेश में पाली जिले में ही सबसे ज्यादा प्रवासी आए हैं. लॉकडाउन के बाद पाली में सबसे ज्यादा 1 लाख 88 हजार प्रवासी अपने घर लौटे. ये सभी प्रवासी राजस्थान से बाहर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न प्रदेशों में रोजगार के लिए बसे हुए थे.

प्रवासियों को नहीं मिल रहा अपने गांव में काम

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते संपूर्ण देश में लगे लॉकडाउन के कारण इन सभी का उन प्रदेशों में रोजगार छिन गया. ऐसे में कई परेशानियों को झेल कर ये सभी प्रवासी अपने परिवार के साथ अपने घर लौट आए. पाली में लौट आए प्रवासियों के पास जब तक बचा हुआ पैसा था तब तक तो इनका गुजारा हो गया, लेकिन अब इन श्रमिक प्रवासियों के सामने सबसे बड़ा संकट परिवार को पालने का है. अब ये प्रवासी वापस दूसरे प्रदेशों में लौटना नहीं चाहते. ऐसे में ये लोग लॉकडाउन हटने के बाद रोजगार के सिलसिले में अपने ही क्षेत्र में भटक रहे हैं, लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा. ये प्रवासी सरकार के सामने रोजगार उपलब्ध करवाने और विभिन्न योजनाओं से जोड़ने की मांग कर रहे हैं.

दूर दराज शहरों से लौट रहे प्रवासी

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प्रशासन करेगा दो माह के राशन की व्यवस्था

जिला कलेक्टर अंशदीप से जब ईटीवी भारत ने प्रवासियों की समस्या को लेकर बात की तो उन्होंने बताया कि पाली में करीब 1 लाख 88 हजार प्रवासी अपने घर लौट आए हैं. इन सभी के सामने जो संकट आ रहा है, उसे देखते हुए सभी प्रवासियों के लिए आगामी 2 माह का राशन नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. जिसमें प्रवासी परिवार के प्रत्येक सदस्य को 5 किलो गेहूं, 1 किलो चना नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. इसको लेकर प्रशासन की ओर से सभी प्रवासियों की सूची को तैयार किया जा रहा है.

सभी उद्यमियों से भी होगी चर्चा

जिला कलेक्टर अंशदीप ने बताया कि पाली में लौट आए प्रवासी श्रमिकों को यहीं पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए पाली में संचालित हो रही सभी सीमेंट फैक्ट्री, कपड़ा उद्योग सहित अन्य औद्योगिक इकाइयों के संचालकों से विचार-विमर्श और चर्चा की जा रही है. हुनरमंद सभी श्रमिकों को यही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इन सभी उद्यमियों से अपील की जाएगी. साथ ही मनरेगा में भी इन परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि ये बेरोजगार नहीं रह सकें.

Last Updated : Jun 9, 2020, 6:08 PM IST

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