जैतारण (पाली).सतीश पालीवाल ने कभी बागवनी नहीं की, लेकिन ऐसा जुनून जागा कि पाली के अंतिम छोर में बसा सेंदड़ा के समीप स्थित श्मशान घाट को हरा-भरा कर डाला. अब लोग यहां रोज सैर पर आते है. वहीं सेंदडा श्मशान घाट में सैकड़ों पक्षी रोजाना दाना-पानी के लिए आते है. इनके दाने की व्यवस्था भी भामाशाह ही करते है.
सतीश पालीवाल पंचायत समिति सदस्य, जैतारण कृषि मंडी के डायरेक्टर, क्रय विक्रय सहकारी समिति रायपुर के भी डायरेक्टर रह चुके हैं. अब तक श्मशान में इन्होंने 11 वर्षों से करीब 100 से अधिक पौधे लगाए है. जन सहयोग से टीन शेड, भामाशाह को प्रेरित करके कालका माता मंदिर, महाकाल मूर्ति, भैरव धाम की प्राण प्रतिष्ठा करवाई है. साथ ही ग्रामीणों को प्रेरित कर उनके पूर्वजों की याद में विश्राम गृह, बैठने के लिए पत्थर की कुर्सियां और अन्य कार्य करवाएं है.
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पालीवाल की दिनचर्या में रोजाना श्मशान घाट जाना शामिल है. सुबह उठकर उनका पहला काम श्मशान की सफाई करना, पेड़-पौधों को पानी देना, पक्षियों को मौके पर ही दाना डालना है. उन्होंने ग्राम पंचायत विधायक कोष से चारदीवारी, स्नानघर, पानी का टांका, हैण्डपम्प का भी निर्माण कार्य करवाया है. इस कार्य में सभी विभागों के कर्मचारी भी सहयोग करते हैं.
पहले जब सतीश पालीवाल के द्वारा पौधरोपण किए गए तो पौधे पशुओं ने नष्ट कर दिए थे. इसके लिए उन्होंने जन सहयोग से ट्री गार्ड बनवाए. पहले इसकी शुरुआत उन्होंने अकेले की थी, लेकिन कारवां बढ़ता चला गया. उनके इस कार्य से प्रेरित होकर और लोग उनसे जुड़ गए और उनके काम में मदद करने लगे. इसकी वजह से पौधरोपण और देखभाल का काम आसानी से होने लगा है.
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