पाली. सादड़ी कस्बे में शुक्रवार को आम लोगों ने चक्का जाम आंदोलन किया. इस आंदोलन के समर्थन में देसूरी व घाणेराव कस्बे भी बंद रहे. वहीं 41 गांवों के ग्रामीणों ने चक्काजाम विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इस प्रदर्शन में पशुपालक ऊंटों के साथ अपना विरोध जताने पहुंचे थे.
यह आंदोलन परशुराम महादेव, सूर्यमंदिर सहित सभी धार्मिक स्थलों और बांधों को कुंभलगढ राष्ट्रीय उद्यान के दायरे से बाहर रखने, पशुपालकों को चराई व आदिवासियों को वन अधिनियन-2006 के मुताबिक हक देने की मांग को लेकर था. इस दौरान भारी पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा. बाजार बंद रहने से कस्बे में हर रोज की तरह चहल-पहल दिखाई नहीं दी. सुबह 10 बजे आजाद मैदान में जनसभा करने के बाद सभी लोग एक लम्बे जुलूस के रूप में कुंभलगढ़ अभयारण्य के स्थानीय कार्यालय की तरफ कूच कर गए.
फिर सुबह 11 बजे आकरिया चौक पर पहुंचकर सड़क पर नारेबाजी-भाषण के साथ धरना-प्रदर्शन करने लगे. लेकिन इस दौरान पुलिस ने अपनी सूझबूझ से वाहनों को डायवर्सन दे दिया. जिससे वाहन चालकों व यात्रियों को कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ी. एक घण्टे तक यहां प्रदर्शन के बाद दोपहर 12 बजे पुलिस थाने के पास अभयारण्य के सहायक सरंक्षक कार्यालय का घेराव करते हुए सभा की. सभा को संबोधित करते हुए इसे छलावा ही बताया. कहा कि रणकपुर व मुछाला महावीर जैन मंदिरों को उद्यान के दायरे से बाहर रखा और बाकी धार्मिक स्थलों को भीतर रखा. इस प्रदर्शन में घाणेराव के संत देवीदास महाराज सहित कई संतों ने भाग लिया. प्रदर्शन में पशुपालक अपने ऊंटों के साथ पहुंचे थे. ऊंटों के गले में नारे लिखी तख्तियां बंधी हुई थी.
कुंभलगढ़ नेशनल पार्क के विरोध में चक्काजाम इस दौरान दोपहर एक बजे डीएफओ फतेहसिंह राठौड़ को एसडीएम रवि विजय, डीएसपी हिमांशु जांगिड़, एसीएफ यादवेंद्र सिंह चुंडावत, भीम एससीएफ मंगलसिंह राठौड़, थानाधिकारी मूलसिंह भाटी सहित आसपास के थानों से पहुंचे थानाधिकारियों की मौजूदगी में ज्ञापन सौंपा. इससे पहले प्रदर्शनकारियों का एक शिष्ठ मंडल डीएफओ राठौड़ से मिला. इस दौरान भाजपा विधि प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एडवोकेट हीर सिंह राजपुरोहित ने उनसे बिंदुवार चर्चा की. वहीं लोकहित पशुपालक संस्थान के निदेशक हनवंतसिंह राठौड़ ने वन विभाग के कार्यकलापों पर सवाल खड़ा किया और एक वन कार्मिक के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की. वे वार्ता से असंतुष्ठ नजर आए. इसके बाद नागरिकों ने चेतावनी दी कि वे अपने हक के लिए आंदोलन की रणनीति बना रहे है और हरसंभव प्रयास करेंगे.