कोटा. भरतपुर में भाजपा नेता कृपाल जघीना हत्याकांड के मुख्य आरोपी कुलदीप जघीना की पेशी पर ले जाते समय हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी. आरोपी कुलदीप जघीना और विजयपाल को पुलिस जयपुर से भरतपुर रोडवेज बस में पेशी पर ले जा रही थी. इसी दौरान अंधाधुंध फायरिंग करके उसे मौत के घाट उतार दिया गया. विजयपाल और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस हत्याकांड ने भीलवाड़ा के मेनाल के नजदीक हुए भानु प्रताप हत्याकांड की याद दिला दी है. इस मामले में भी गैंगस्टर शिवराज सिंह और उसके गुर्गों ने अंधाधुंध फायरिंग कर भानु प्रताप को मौत के घाट उतार दिया था. फायरिंग में कमांडो प्रकाश और सोहनलाल की भी मौत हुई थी. गैंगस्टर शिवराज सिंह ने अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. ऐसे में लगता है कि भाजपा नेता कृपाल जघीना की हत्या का बदला लेने के लिए ही अज्ञात हमलावरों ने यह वारदात अंजाम दी है.
यहां से शुरू हुई थी हाड़ौती की गैंगवारः हाड़ौती में झालावाड़ निवासी भानु प्रताप अपराध की दुनिया में सक्रिय हो गया था. उसने पहले छोटे मामले और उसके बाद बड़े-बड़े अपराध करना शुरू कर दिया. साल 2000 के बाद भानु प्रताप और उसकी गैंग ने फिरौती के लिए खान मालिकों को धमकाना शुरू कर दिया था और उनसे वसूली का क्रम जारी था. इसी के चलते भानु प्रताप गैंग अपराध का पर्याय बन गई थी. हालांकि साल 2007 में यह गैंग दो टुकड़ों में बंट गई. एक गैंग की कमान भानु प्रताप के हाथ में थी, जबकि दूसरे गैंग को लालचंद उर्फ लाला बैरागी लीड कर रहा था. भानु प्रताप और लाला बैरागी आपस में भी दुश्मन बन गए. ऐसे में साल 2008 में 12 दिसंबर के दिन कोटा शहर के उद्योग नगर थाना इलाके के राजनगर तिराहे पर भानु प्रताप ने लाला बैरागी को गोलियों से भून दिया.
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इस मामले में बृज राज सिंह उर्फ बबलू गवाह था. इसीलिए भानु प्रताप बबलू बना की हत्या करना चाहता था. इसके लिए उसने शाहिना का सहारा लिया. शाहिना ने बबलू बना को अपने प्रेम जाल में फंसाया और उसके साथ घूमने के लिए भीलवाड़ा के मेनाल 12 मई, 2009 को गई थी. बबलू अपने साथ दोस्त जितेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को भी लेकर गया था. शाहिना बबलू के संबंध में पूरी जानकारी भानु प्रताप को दे रही थी. वापसी में लौटते समय चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं थाना इलाके के जोगणिया माता मंदिर के नजदीक बृजराज सिंह और एक अन्य जितेंद्र उर्फ पिंटू की हत्या भानु प्रताप और अन्य ने गोली मार कर दी थी. इस मामले में भानु प्रताप, राजेश कमांडो, नंदू उर्फ नरेंद्र, बिट्टू उर्फ दिग्विजय, भाया उर्फ सत्येंद्र, वसीम, शाहिना व सुमेर सिंह पर हत्या के आरोप लगे थे.
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5 को शेष जीवन काल तक की हुई थी जेलःचित्तौड़गढ़ के बेगूं इलाके में यह घटनाक्रम हुआ था, लेकिन गवाहों को गैंगस्टर से खतरा था. इसीलिए इस केस को कोटा न्यायालय में ट्रांसफर किया गया. कोर्ट ने इस मामले में 19 नवम्बर, 2022 को नंदू उर्फ नरेंद्र सिंह, भाया उर्फ सत्येंद्र सिंह, किशन जंगम, वसीम खान व शाहीन को उम्र कैद की सजा हुई. दो आरोपी राजेश कमांडो व गैंगस्टर भानु प्रताप की मृत्यु हो गई. जबकी दिग्विजय उर्फ बिट्टू को अनुपस्थित होने पर मफरूर (भागा हुआ) घोषित किया हुआ है और सुमेर सिंह के विरुद्ध अलग से कार्रवाई विचाराधीन है.
पीडब्ल्यूडी का ठेकेदार शिवराज बना गैंगस्टरःजोगणिया माता हत्याकांड के मृतक बृजराज सिंह का भाई शिवराज अपराध की दुनिया में सक्रिय नहीं था. वह गैंगस्टर भी नहीं था. वह सार्वजनिक निर्माण विभाग के ठेकेदार के तौर पर काम करता था. शिवराज सिंह के बड़े भाई बृज राज सिंह उर्फ बबलू की हत्या भानु प्रताप ने कर दी थी. इसी का बदला लेने के लिए शिवराज भी अपराध की दुनिया में शामिल होने के लिए तैयार हो गया. इसके लिए उसने पूरी गैंग भी तैयार की.
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उदयपुर से झालावाड़ पेशी पर ले जाते समय की थी हत्याःपुलिस उदयपुर सेंट्रल जेल से आरोपी भानु प्रताप को बख्तरबंद गाड़ी में लेकर झालावाड़ पेशी के लिए 18 अप्रैल, 2011 को लेजा रही थी. इसकी सूचना पहले से ही शिवराज को थी. जिसकी तहकीकात करते हुए गैंगस्टर शिवराज सिंह ने अपनी पूरी टीम को तैयार किया. साथ ही भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया थाना इलाके मेनाल के पास ही दो गाड़ियों में आए गैंगस्टर शिवराज, सूरज भदौरिया व 16 अन्य ने भानु प्रताप को ले जा रही पुलिस वैन को पीछे से टक्कर मार दी. इसके बाद अंधाधुंध फायरिंग कर भानु प्रताप व दो कमांडो प्रकाश व सोहनलाल की हत्या कर दी थी. जिसके बाद मौके से फरार हो गए थे.
जमानत पर बाहर है शिवराज सिंहःशिवराज सिंह बीते दो महीनों से ही जमानत पर बाहर है. पुलिस ने भी काफी प्रयास किए थे कि शिवराज सिंह जेल से बाहर नहीं आए. गैंगस्टर शिवराज सिंह पिछले लंबे समय से भानु प्रताप हत्या मामले में जेल में बंद था. इस मामले में उसे जमानत मिल गई थी. ऐसे में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसे जेल में बंद रखने की थी. पुलिस को डर है कि जेल से रिहा होने के बाद शिवराज फिर से हाड़ौती क्षेत्र में उत्पात मचाएगा और गैंगवार की घटनाएं बढ़ेंगी. ऐसे में पुलिस ने उसके खिलाफ कुछ पुराने मामलों को सामने लाकर उसे जेल की सलाखों के पीछे रखने का प्रयास किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उसको दूसरे मामलों में भी जमानत मिल गई. इसके बाद ही वह जमानत पर है और कोटा रह रहा है.