कोटा. भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू - अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है. जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है. वह रेवेन्यू रिकॉर्ड से मिल नहीं पा रहा है. इस कारण भूमि अवाप्ति का काम बंद जैसा ही है. ऐसे में जब तक पूरी कोटा जिले की भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. इस भारतमाला परियोजना में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाएगा.
कोटा में आकर अटका पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे
भारतमाला परियोजना के अधीन बनने वाले 12 लेन के दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कॉरिडोर का मामला कोटा में आकर खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. सेटलमेंट और सीएडी के भू-अभिलेख के रिकॉर्ड में कैचमेंट एरिया अलग-अलग जगह दर्शाया गया है. ऐसे में जमीन एक्वायर करने का काम अटक गया है. कोटा जिले में 105 किलोमीटर हाईवे बनना है. जिसमें से 17 किलोमीटर केचमेंट एरिया के वजह से दिक्कत आ गई. इसमें जहां पर व्यक्ति का मालिकाना हक दिखाया गया है.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर कोटा वीरेंद्र सिंह का कहना है कि कोटा जिले में 64 गांव की भूमि अवाप्ति का काम चल रहा है. रामगंजमंडी, कनवास और लाडपुरा में भूमि अवाप्ति का काम एडवांस स्टेज पर पहुंच गया है, लेकिन दीगोद तहसील के 12 गांव ऐसे हैं,जो केचमेंट एरिया के गांव है, जहां पर जमीन अवाप्ति में अड़ंगा लगा हुआ है. इसमें प्रगति नहीं हो पा रही है. केचमेंट एरिया के इन गांवों में जहां पर जमीन का मालिकाना हक दिखाया हुआ है. वह जमाबंदी रिकॉर्ड से अलग है. ऐसे में इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार के रेवेन्यू विभाग को अवगत कराया है.