राज्यपाल ने कहा, कोविड में दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन मीडियम ने की स्टूडेंट्स की मदद कोटा. राज्यपाल कलराज मिश्र ने मंगलवार को वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 15 वें दीक्षांत समारोह में यूनिवर्सिटी परिसर में ही नवनिर्मित संत सुधा सागर सभागार में भाग लिया. राजपाल मिश्र ने दीक्षांत के अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दूरस्थ शिक्षा का महत्व बढता जा रहा है. कोरोना महामारी के समय विश्वविद्यालयों में जब ताले लगे थे, तब दूरस्थ शिक्षा के केन्द्र घर बैठे विद्यार्थियों को ऑनलाइन किताबें और वीडियो लेक्चर के जरिए मदद कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के साथ तकनीकी क्रांति की बदौलत विश्वविद्यालय छात्रों को घर बैठे शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध कराएंगे, तब दूरस्थ गांवों तक उच्च शिक्षा का उजाला पहुंचेगा.
अहमदाबाद के डॉ बाबा साहेब अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो अमी यू उपाध्याय ने दीक्षांत भाषण में कहा कि दूरस्थ शिक्षा समाज को उन्नति के पथ पर ले जाने में जुटी हुई है. उन्होंने सभी अभ्यर्थियों से कहा कि वह ऐसा समाज बनाए जिस पर सभी को गर्व हो. साथ ही बालिका शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय के नवाचारों की सराहना की. कार्यक्रम के पहले अतिथियों ने संत सुधा सागर सभागार का लोकार्पण भी किया. इसी में दीक्षांत समारोह आयोजित था.
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75 फीसदी छात्राओं ने लिए स्वर्ण पदक: कुलपति प्रो कैलाश सोडाणी ने बताया कि विभिन्न विषयों में 31 टॉपर विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिए. इनमें 23 स्वर्ण पदक छात्राओं को मिले. जबकि महज 8 स्वर्ण पदक छात्र ले पाए हैं. इसमें एमएससी गणित की टॉपर वर्षा नागदा को कुलाधिपति पदक, बैचलर ऑफ जर्नलिज्म के स्टूडेंट सुभाष चंद्र वर्मा को करुणा शंकर त्रिपाठी मेमोरियल और पीजीडीएलएल परीक्षा के टॉपर अतुल कुमार सिंह को पंडित लक्ष्मी नारायण जोशी स्वर्ण पदक दिया गया है.
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उन्होंने बताया कि छात्राएं करीब 22 हजार निशुल्क शिक्षा विश्वविद्यालय में ले रही है. जिसमें पूरे राजस्थान की छात्राएं शामिल हैं. कुलपति प्रो सोडाणी ने बताया कि दिसंबर 2020 की परीक्षा में सफल अभ्यर्थी और पीएचडी के 12592 अभ्यर्थियों को उपाधि दी गई है. इनमें पीएचडी की 15 उपाधियां, स्नातकोत्तर की 6493, स्नातक कार्यक्रम की 4270, पीजी डिप्लोमा की 839 व डिप्लोमा कार्यक्रमों की 975 उपाधियां शामिल हैं. उपाधि लेने पहुंची एक छात्रा अपने साथ ठाकुरजी की मूर्ति को लेकर पहुंची थी. वह ठाकुर जी को गोद में लेकर बैठी हुई थी.