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Right to health : बिल के विरोध में राजस्थान के निजी अस्पतालों में उपचार बंद, मरीज हो रहे परेशान

प्रदेश के निजी चिकित्सकों ने हड़ताल के रूप में शनिवार को सभी ओपीडी, इमरजेंसी सहित सुविधाओं को बंद रखा. इसके चलते कई मरीजों को मुश्किलों का सामना करना (Doctors protest against RTH Bill) पड़ा. चिकित्सकों ने राइट टू हेल्थ बिल को डॉक्टर्स के साथ ही मरीज विरोधी भी बताया है.

Protest against Right to health Bill in Kota
कोटा में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध

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Published : Mar 18, 2023, 7:06 PM IST

Updated : Mar 19, 2023, 12:30 PM IST

राजस्थान के निजी अस्पतालों में उपचार बंद

कोटा.प्रदेश में निजी चिकित्सक एक बार फिर हड़ताल पर उतर गए हैं. इसके चलते न तो ओपीडी में मरीजों का इलाज हो रहा है, न हीं अस्पतालों में मरीजों की भर्ती हो रही है. इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. चिकित्सकों ने आरटीएच बिल (राइट टू हेल्थ बिल) का विरोध करते हुए इसे डॉक्टर्स के साथ-साथ मरीजों के खिलाफ भी बताया. निजी अस्पतालों में ओपीडी, इमरजेंसी, लैब और मरीजों की भर्ती बंद होने के चलते मरीजों को सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है.

सड़क पर आकर दिया धरना :यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ कोटा के सचिव डॉ. अमित व्यास का कहना है कि हमारे साथ कोटा के 134 प्राइवेट चिकित्सकों ने शनिवार को मेडिकल सुविधा बंद रखा है. पहले आंदोलन में केवल चिरंजीवी व आरजीएचएस का ही बहिष्कार किया था, लेकिन अब हमने संपूर्ण रूप से सुविधाएं बंद कर दी है. सरकार हमारी बात नहीं मान रही है. इसलिए हम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हमारी गहलोत सरकार से एक ही मांग है कि आरटीएच बिल को नहीं लाया जाए, यह असंवैधानिक है और उसकी कोई जरूरत नहीं है. हम सब 'नो टू आरटीएच' के साथ खड़े हैं. राजस्थान में बिल लागू होने पर चिकित्सा व्यवस्था बिगड़ जाएगी.

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कोई दो फाड़ नहीं, सब एक :यूनाइटेड प्राइवेट क्लीनिक एंड हॉस्पिटल एसोसिएशन ऑफ कोटा के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि पूरे राजस्थान में प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, क्लीनिक व डायग्नोस्टिक अनिश्चितकालीन के लिए बंद किए गए हैं. हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है, इसलिए हम सड़क पर आकर बैठ गए हैं. हड़ताल पर चिकित्सक संगठनों के 2 ग्रुप के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई दो फाड़ नहीं है. सभी चिकित्सक एक साथ हो गए हैं.

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  1. केस 01 : पहले ही लिख दिया, पैसा देने पर ही होगा इलाज
    चारचौमा बूबी निवासी हीरालाल नागर को शुक्रवार को पैरालाइसिस अटैक आया था. उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद भी उन्हें सामान्य मरीज के तरह की भर्ती किया गया. मरीज हीरालाल के परिचित बीटास्वामी का कहना है कि अस्पताल में पहले मरीज से सर्टिफिकेट लिया गया, जिसके बाद उन्हें कोटा के झालावाड़ रोड स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया. यहां पर चिकित्सकों ने भर्ती कर दिया लेकिन पहले पैसे जमा कराए गए, जबकि उनके पास चिरंजीवी कार्ड था. उनसे यह भी लिखवाया गया है कि मैं स्वयं की इच्छा से पैसा देकर इलाज करवा रहा हूं, इस सर्टिफिकेट को देने के बाद ही उन्होंने मरीज को भर्ती किया था.
  2. केस 02 : चिरंजीवी कार्ड के बावजूद इलाज में खर्च हुए 22000
    कोटा जिले के कैथून इलाके के निवासी 15 मार्च देर रात को शिशु को अस्पताल लेकर पहुंचे. शिशु को निमोनिया की शिकायत थी. परिजन चिरंजीवी कार्ड लेकर पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल ने उसे मानने से इनकार कर दिया. आज उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. परिजनों के अनुसार उनसे उपचार के लिए करीब 22 हजार रुपए लिए गए.
Last Updated : Mar 19, 2023, 12:30 PM IST

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