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कोरोना से ग्रामीणों की जंग: जोधपुर की सर पंचायत में ग्रामीण मुस्तैद, ऐसे कर रहे बचाव

ईटीवी भारत रियलिटी चेक करने के लिए जोधपुर जिले की सर ग्राम पंचायत पहुंचा है. यह जानने के लिए कि गांव के लोग कोरोना वायरस को लेकर कितने जागरूक हैं और कैसे इस महामारी से लड़ रहे हैं. इस ग्राम पंचायत की आबादी 4 हजार से ज्यादा है. चिंता की बात यह है कि यहां अभी तक 2 कोरोना पॉजिटिव मरीज भी मिल चुके हैं. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट...

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ग्रामीणों की कोरोना से जंग

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Published : May 31, 2020, 7:16 PM IST

Updated : May 31, 2020, 8:15 PM IST

जोधपुर.जिले कीसर ग्राम पंचायत में अब तक 150 से ज्यादा प्रवासी सिर्फ मुंबई से अपने घर लौट चुके हैं. सभी को गांव के पंचायत भवन में क्वॉरेंटाइन किया गया है. जब हम गांव में पहुंचे तो अंदर सन्नाटा पसरा था. कुछ लोग अपने घरों के बाहर बैठे हुए दिखे. गांव में एक शख्स से मिले जो कुछ दिन पहले मुंबई की धारावी से लौटा था. गांव के सरपंच द्वारा राजेश का कोरोना टेस्ट कराया जा चुका है, रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, लेकिन फिर भी घर के बाहर घास-फूस की झोपड़ी में राजेश 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन है. गांव की सभी दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंस मेनटेन करने के लिए रस्सी लगाई गई थी. एक समय पर यहां सिर्फ एक खरीदार को ही प्रवेश दिया जाता है.

ग्रामीणों की कोरोना से जंग

इस गांव के लोगों ने कपड़ा या गमछा से अपने मुंह को ढकने की आदत बना चुके हैं. हालांकि कुछ लोग लापरवाही भी बरत रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोग अपना मुंह ढकने के बाद ही घर से बाहर निकलते हैं. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना का मिलाजुला असर यहां पर देखने को मिला. गांव में जो 150 प्रवासी जो मुंबई से अपने घर लौट चुके हैं इन सभी को क्वॉरेंटाइन किया गया है. इसके लिए सरपंच ने बीएलओ की टीम के साथ मिलकर सूने घरों का उपयोग किया है. इसके अलावा जिन घरों में जगह हैं वहां बाहर कच्चा आशियाना बना कर उन्हें उपयोग में लिया गया है.

गांव की सभी दुकानों के बाहर लोगों को रोकने के लिए रस्सी लगाई गई है. जिससे की एक साथ लोग प्रवेश नहीं कर सकें. व्यापारी चैनाराम का कहना है कि नियमों की पालना के साथ ही दुकानों पर काम हो रहा है. लॉकडाउन में लोगों को मनरेगा से काम दिया जा रहा है. उमाराम बताते हैं कि सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक नरेगा की शिफ्ट चलती है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हुआ है.

मुंह को गमछे से ढककर जाता हुआ बुजुर्ग

जिन लोगों के नाम राशन कार्ड में नहीं हैं या फिर उनका राशन कार्ड राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़ा नहीं है, ऐसे ग्रामीणों को सरकारी राशन लेने में परेशानी हो रही है. गांव के ई-मित्र पर प्रतिदिन 20 से 25 लोग आते हैं नाम जुड़वाने के लिए. ई-मित्र संचालक प्रेमाराम का कहना है कि वेबसाइट बंद है ऐसे में किसी तरह के नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं अगर नाम जुड़ जाए तो लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है.

गांव में मिले 2 कोरोना पॉजिटिव

बात अगर कोरोना वायरस को लेकर जागरूकता की हो तो बाहर से आने वाले लोगों को यहां पर 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन में रहना पड़ता है. गांव के जो मुख्य रास्ते हैं, वहां लोहे के पोल रख दिए गए हैं. जिससे बाहर से कोई वाहन लेकर नहीं आ सके. हालांकि इस गांव में अभी 2 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. ग्रामीम एहतियातन जागरूक हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हम मास्क और हाथ धोने के साथ अनावश्यक काम से गांव के बाहर नहीं जाते हैं. गांव की दुकानें सुबह 7 से शाम 6 बजे तक खुलती हैं.

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ग्रामीणों को और सतर्क कहने की आवश्यकता

हमारी पड़ताल में सर गांव के लोग कोरोना वायरस को लेकर व्यक्तिगत रुप से ज्यादा जागरुक नजर आए. मास्क, सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा जा रहा है, लेकिन कुछ ग्रामीण लापरवाही और नियमों की पालना करते नहीं दिखे. शायद यही वजह है कि इस गांव में अभी तक दो कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. हालांकि फिलहाल स्थिति सामान्य है, लेकिन ग्रामीणों को यहां और सजग और सतर्क रहने की जरूरत है.

Last Updated : May 31, 2020, 8:15 PM IST

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