जोधपुर. मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में बुधवार को TAVI (बिना चीरे के हृदय के वाल्व का प्रत्यारोपण) पद्धति से पहली बार एक 80 वर्षीय मरीज के हार्ट का वाल्व बदला गया. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पवन सारडा ने बताया कि मरीज 80 वर्षीया वृद्धा पूरी तरह से स्वस्थ है. उन्हें उपचार के बाद शनिवार को छुट्टी दे दी गई. उन्होंने आगे बताया कि मरीज के हृदय और शरीर में रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नाड़ी (एओर्टा) के मध्य स्थित एऑर्टिक वाल्व में गंभीर सिकुड़न (वालव्यूलर एऑर्टिक स्टेनोसिस) की तकलीफ थी. जिसके चलते मरीज के हृदय पर बहुत दबाव था और मरीज की सांस फूलने लगती थी. ऐसे में मरीज को कभी भी हार्ट फेल्यर या गंभीर अनियमित धड़कन का खतरा था.
सामान्यत इस बीमारी का इलाज चीरे वाले ऑपरेशन से सिकुड़े हुए वाल्व को बदलना रहता है. जिसे सर्जिकल एऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट कहते है. चूंकि मरीज 80 साल की वृद्धा थी तथा उन्हें गंभीर फेफड़ो की बीमारी भी थी जिसके कारण मरीज सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी. ऐसे में एऑर्टिक वाल्व का प्रत्यारोपण बिना चीरे, बिना बेहोशी एंजियोग्राफ़िक विधि से किया जाता है. जिसे ट्रांस कैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन ( TAVI) कहा जाता है.