जोधपुर.राजस्थान की 199 सीटों पर उतरे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आज ईवीएम खुलने के साथ होगा. ईवीएम से निकलने वाले मत ये निर्धारित करेंगे कि कौन सियासत का सिकंदर होगा और किसे मात खानी पड़ेगी. उससे पहले जारी हुए एग्जिट पोल सर्वे रिपोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है. सियासत के जानकार हर सीट के गुणा-भाग में लगे रहे तो राजनेता लगातार जीत के दावे कर रहे हैं. इस बीच बात मारवाड़ की करें तो यहां कई परिवारों और राजनीति के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव में पर लगी हुई है.
खास तौर से मिर्धा, मदरेणा, जसोल और विश्नोई परिवार के अलावा पारिवारिक राजनीतिक से इतर अपना स्थान बनाने वाले हरिश चौधरी, देवजी पटेल, अमीन खान, ज्ञानचंद पारख, पुष्पेंद्र सिंह राणावत, ओटाराम देवासी महंत प्रतापपुरी के चुनावी परिणामों पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं. यह चुनाव कई मायनों में आने वाले समय की राजनीतिक दिशा और दशा को तय करने वाला है.
जोधपुर जिले में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
ओसियां विधानसभा सीट से दिव्या मदेरणा दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. दिव्या मदेरणा इस परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. उन्होंने पूरा चुनाव अपने दादा परसराम मदेरणा और पिता महिपाल मदेरणा के नाम पर लड़ा है. जाट बाहुल्य सीट पर जाटों को एकजुट करने का प्रयास किया. अगर परिणाम विपरित गया तो मदेरणा परिवार के लिए ये सेटबैक होगा.
लूणी से महेंद्र सिंह विश्नोई भी मैदान में हैं. महेंद्र सिंह विश्नोई भी इस परिवार की तीसरी पीढ़ी है, जो कि चुनावी मैदान में हैं. लूणी में जाट, राजपूत, विश्नोई, पटेल और कुम्हार बाहुल्य हैं. जाटों की नाराजगी भारी पड़ सकती है. अगर हारे तो परिवार की राजनीतिक विरासत पर खतरा मंडरा सकता है.
भोपालगढ से गीता बरवड़ को कांग्रेस ने उतारा है. इनके पिता नरपतराम बरवड मंत्री रहे हैं. 2008 में यहां से उनकी मां चुनाव हारी थी. इस बार गहलोत ने नए चेहरे के रूप में गीता बरवड़ को मैदान में उतारा है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में बहुत नजदीकी मामला रह सकता है.
बाड़मेर में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
हरिश चौधरी बायतू सीट से मैदान में हैं. वे पूर्व में सांसद और प्रदेश में मंत्री रह चुके हैं. कांग्रेस संगठन में हरीश चौधरी के पास बड़ा बद है, लेकिन बताया जा रहा है कि इस बार वे इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए हैं. जाट बाहुल्य इस सीट पर रालोपा ने परेशानी खड़ी की है . हरिश जीतते हैं तो उनका कद और बढ़ेगा.
मानवेंद्र सिंह जसोल को कांग्रेस ने सिवाना सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. जसोल जैसलमेर सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी के आदेश पर वे सिवाना से मैदान में उतरे. इस बीच सीएम अशोक गहलोत के खास सुनील परिहार ने बागी बनकर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति इस सीट पर पैदा कर दी है. मानवेंद्र सिंह जसोल ने 2018 में झालरापाटन सीट से चुनाव लड़ा था और हार गए थे.
अमीन खां लगातार शिव से विधायक रहे हैं. इस बार भी वे मैदान में उतरे हैं. वहीं, उनके सामने जिलाध्यक्ष फतेह खां ने बागी बनकर इस बार ताल ठोक दी है, जिससे उनका खेल बिगड़ सकता है. इस सीट पर भाजपा में भी बागी बनकर रविंद्र सिंह भाटी खड़े हो गए हैं. जिसके बाद इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला हो गया है. इस सीट के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.
बाड़मेर सीट से मेवाराम जैन लगातार चौथी बार चुनाव के मैदान में उतरे हैं. वे तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. इस सीट पर इस बार भाजपा की बागी प्रियंका चौधरी ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया हैं. यहां जाट वर्सेज अदर की स्थिति में जैन की राजनीतिक बिसात दांव पर लगी हुई है.
नागौर में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर