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विश्व पर्यटन दिवस: मानसून में पर्यटकों के लिए दूर की कौड़ी बन जाता है झालावाड़ का विश्व धरोहर गागरोन किला

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Published : Sep 27, 2020, 10:36 PM IST

देशभर में 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है. इसे मनाने को उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना होता है. वहीं, पूरे विश्व की धरोहर बन चुका गागरोन किला मानसून के दिनों में लोगों के लिए दूर की कौड़ी बन जाता है और इसकी वजह प्रशासन और सरकारों की उदासीनता है.

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झालावाड़ की विश्व धरोहर गागरोन किला

झालावाड़.27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. विश्व पर्यटन दिवस मनाने का उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना होता है. ऐसे में राजस्थान जैसे प्रदेश के लिए पर्यटन विशेष महत्व रखता है. यहां पर अनेक ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो देसी-विदेशी सैलानियों से हमेशा आबाद रहते हैं.

झालावाड़ की विश्व धरोहर गागरोन किला

ऐसे में आज हम झालावाड़ में मुकुंदरा पर्वतमाला के गोद में और कालीसिंध नदी के संगम पर स्थित विश्व धरोहर जल दुर्ग गागरोन किले की बात करेंगे, जो न सिर्फ राजस्थान के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए अनूठा पर्यटन स्थल है. इसी को देखते हुए इसे 21 जून 2013 को विश्व धरोहर भी घोषित किया गया था. पूरे विश्व की धरोहर बन चुका यह किला मानसून के दिनों में लोगों के लिए दूर की कौड़ी बन जाता है और इसकी वजह प्रशासन और सरकारों की उदासीनता है.

दरअसल, गागरोन किले के तीन तरफ से नदी बहती है. ऐसे में वहां पर जाने के लिए दो रास्ते हैं. लेकिन मानसून के दौरान यह दोनों रास्ते बंद हो जाते हैं. ऐसे में चाहे यहां का स्थानीय व्यक्ति हो या फिर कोई पर्यटक उसके लिए गागरोन किले तक पहुंच पाना ना मुमकिन हो जाता है. वहीं, जहां एक तरफ सरकारें और प्रशासन पर्यटन दिवसों पर पर्यटन को बढ़ावा देने की बड़ी बड़ी बातें करते नजर आते हैं. वहीं, झालावाड़ की इस विश्व धरोहर तक पहुंचने के लिए अभी तक पुल का निर्माण भी नहीं करवाया जा सका है. इसी का नतीजा है कि जहां मानसून के दिनों में सभी पर्यटन स्थल पर्यटकों से भरे रहते हैं. गागरोन किले में पर्यटकों का अकाल पड़ जाता है. पर्यटक चाहते हुए भी झालावाड़ की इस विश्व धरोहर को नहीं निहार पाते हैं.

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बता दें कि पिछले साल गागरोन किले में मानसून के महीनों में जहां अप्रैल में 1546, मई में 964, जून में 2095, जुलाई में 3395, अगस्त में 2963 और सितंबर में 952 पर्यटक ही पहुंच पाए थे. वहीं, इस साल यह आंकड़ा और भी ज्यादा घट गया है. अप्रैल और मई महीने में तो एक भी पर्यटक नहीं आ पाया. वहीं, जून में 252, जुलाई में 1940 और अगस्त में 2409 पर्यटक ही गागरोन किले को देख पाए हैं.

पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने बताया कि शुरू से ही यहां पर रास्ता बंद होने और सड़क के डूबने की समस्या बनी हुई है. थोड़ी सी बारिश आ जाने पर ही नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे दोनों रास्ते पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. ऐसे में चाहे कहीं से भी आया हुआ पर्यटक हो वो या तो गागरोन किले में नहीं पहुंच पाता है या फिर कभी कभी अंदर ही फंस जाता है.

इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों ने भी इसको लेकर अपनी व्यथा प्रकट की. उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में यहां के करीब 12 से अधिक गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाता है, जिससे कई जरूरी सेवाएं भी उन लोगों तक नहीं पहुंच पाती है. उन्होंने बताया कि गागरोन किले के पास ही गागरोन दरगाह भी है तो वहाँ पर भी जायरीन नहीं पहुंच पाते हैं.

इसको लेकर गागरोन ग्राम पंचायत के सरपंच शोभाराम का कहना है कि पूर्व में भी पुल बनाने के लिए कई प्रयास किए गए है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से लेकर सभी नेताओं को पुल बनाने के लिए पत्र और ज्ञापन दिए गए हैं. उसके बावजूद अभी तक पुल का निर्माण नहीं करवाया जा सका है, जिसके चलते ग्रामीण अपने गांवों तक और पर्यटक झालावाड़ की विश्व धरोहर ऐतिहासिक गागरोन जलदुर्ग तक नहीं पहुंच पाते हैं.

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