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झालावाड़ः स्ट्रॉबेरी की खेती के प्रति किसानों का बढ़ रहा है रुझान, कम लागत से मिल रहा अधिक लाभ

जिले के अकलेरा में ग्राम पंचायत खारपा के दतिला गांव का प्रगतिशील किसान कर रहा है स्ट्राबेरी का उत्पादन कम लागत में अधिक लाभ मिल रहा है. किसान जयेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि लंबे समय से वह इसकी खेती कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Mar 18, 2021, 2:22 PM IST

झालावाड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती, Strawberry farming
स्ट्रॉबेरी की खेती के प्रति किसानों का बढ़ रहा है रुझान

अकलेरा (झालावाड़). जिले के अकलेरा में ग्राम पंचायत खारपा के दतिला गांव का प्रगतिशील किसान कर रहा है स्ट्राबेरी का उत्पादन कम लागत में अधिक लाभ मिल रहा है. किसान जयेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि लंबे समय से वह इसकी खेती कर रहा है. उत्पादन शुरू होने से लेकर अभी तक स्ट्रॉबेरी के बॉक्स बेचने से उन्हें अच्छी आय हुई है.आमतौर पर तकनीकी स्तर पर इसकी खेती होती है.

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स्ट्रॉबेरी की खेती को भी धीरे-धीरे अपना रहे हैं. उच्च तकनीक के स्तर पर होने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अकलेरा क्षेत्र के ग्राम दतिला निवासी प्रगतिशील किसान जयेंद्र सिंह तंवर ने अपने यहां स्ट्रॉबेरी लगा रखी है. इस दौरान वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

तंवर ने बताया कि खेती में नवाचार लेकर उपखंड स्तर पर भी उनका सम्मान हो चुका है. पुणे से उन्होंने 500 पौधे मंगवाए थे. करीब 1 माह से फलाव अधिक होने से अच्छा उत्पादन मिल रहा है. प्रतिदिन 2 से ढाई किलो तक का उत्पादन स्ट्रॉबेरी में मिल रहा है. जबकि शुरुआत में यह उत्पादन प्रतिदिन करीब 1 किलो शुरुआत में मिलता रहा है. उन्होंने दो बेड में इसके पौधे लगा रखे हैं

पौधे लगाने के लिए बेड का इस्तेमाल होता हैः

इसको ड्रिप के माध्यम पानी दिया जाता है वर्मी कंपोस्ट जैविक खाद आदि देने के बाद जल्द ही इस पौधे से फल फूल शुरू हो जाते हैं. करीब एक से डेढ़ माह में ही उत्पादन मिलने लगता है. इसकी बुवाई का समय अक्टूबर-नवंबर रहता है. इसके बाद यह लंबे समय तक फल देता है.

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गुणकारी फल है स्ट्राबेरी:

शीतोष्ण प्रदेशों में होने वाला यह फल भारत में पर्वतीय भागों में उगाया जाने लगा है. इसकी कई किसमें हैं, खट्टा मीठा फल होने के साथ-साथ यह गुणकारी भी है. दिल के आकार में होने वाली स्ट्रॉबेरी में लवण कैल्शियम सहित कई गुणकारी तत्व है.

अधिक दिन नहीं रख सकतेः

किसान ने बताया कि स्ट्रॉबेरी ऐसा फल है जिसे अधिक दिनों तक बिना किसी सुविधा के रखना संभव नहीं है. ऐसे में इसका बाजार स्थानीय स्तर पर ही निर्भर है अगर इसका प्रसंस्करण हो तो इसका बाहर भेजने पर इसके अधिक दाम मिलेगे.

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मिट्टी का चुनावः

लीची की खेती के लिए गहरी बलुई दोमट मिट्टी जिसकी जल धारण क्षमताढ अधिक हो, उपयुक्त होती है. लीची की खेती हल्की अम्लीय एवं लेटराइट मिट्टी में भी की जा सकती है लेकिन जल भराव वाले क्षेत्र लीची के लिए उपयुक्त नहीं होते. इसकी खेती जल निकास युक्त जमीन में करने से अच्छा लाभ होता है.

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