मनोहरथाना (झालावाड़). जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अकलेरा मनोहरथाना चंदीपुर आदि क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते जिले भर में किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. जहां सब्जियों की बिक्री नहीं हो रही है. वहीं अब सब्जियां खेतों में ही सड़ने लगी हैं. इतना ही नहीं जो कुछ सब्जियां बिक भी रही हैं, उनका उचित रेट न मिलने के कारण मजबूरन उनको सड़ रही सब्जियों के खेतों में ट्रैक्टर चलाने पड़ रहे हैं.
एक तरफ फूल मुरझा रहे तो दूसरी तरफ सब्जियां लॉकडाउन का असर अब कारोबार के अलावा खेती पर भीहर साल किसान अपने खेतों में खड़ी सब्जी से लाखों रुपए कमा रहे थे, लेकिन इस बार हालत यह है कि खेतों में खड़ी सब्जियां सड़ने लगी हैं. मनोहरथाना उपखंड क्षेत्र के कई गांवों में मुख्य रूप से किसान सब्जियों की खेती करते हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन का ऐसा असर हो गया है कि इनका कोई खरीददार तक नहीं मिल रहा है. ऐसे में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों ने बाजार में वाजिब दाम न मिल पाने के कारण सब्जियों को खेतों में ही छोड़ना उचित समझा है.
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यहां पर आसपास मंडी भी न होने से इनकी बिक्री भी नहीं हो पा रही है. मनोहरथाना उपखंड क्षेत्र के गांव में मुख्य रूप से टमाटर, हरी मिर्च, ककड़ी, लौकी और बैंगन की खेती होती है. उपखंड क्षेत्र में सब्जी की अच्छी पैदावार हर साल होती है. इस बार भी अच्छी पैदावार हुई है. खेतों में सब्जी पक गई है, लेकिन नहीं बिकने से अब मजबूरी में किसान इनको इकठ्ठा करने में समय भी नहीं खराब कर रहे हैं. ऐसे में कई किसानों ने टमाटर के पौधे पर तो ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया है. हर साल सब्जी रिटेल में बिक जाती थी. लेकिन इस बार बिक्री कम हुई.
किसानों के अनुसार यहां की सब्जी आसपास के व्यापारी रिटेल में खरीदकर ज्यादातर बेचते थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते लोगों ने सब्जी को खरीदना ही कम कर दिया है, जिसकी वजह से रिटेल में भी नहीं बिक रही है. किसानों के अनुसार अगर सब्जी बिकती भी है तो जितना इस पर खर्चा हुआ था, वो भाव ही नहीं मिल रहे हैं. किसानों द्वारा तोड़ने का भी कार्य नहीं किया जा रहा है. किसानों का कहना है कि तोड़ने में समय खराब हो जाता हैं, बिकना बिल्कुल बंद है. किसान ने बताया कि चंदीपुर में नदी क्षेत्र में टमाटर, गेंदा के फूल, ककड़ी, लौकी और पत्ता गोभी सहित काफी सब्जियों की पैदावार होती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते थोक व्यापारी नहीं आए, जिससे किसानों को अपना लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है और लाखों का नुकसान हुआ है.