जालोर.जिले में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन का पार्ट 2 चल रहा है. इसमें कई जगहों पर लोग खाद्य सामग्री के लिए संघर्ष कर रहे है. लेकिन जिले का एक भाग ऐसा भी है जिस जगह लोग खाद्य सामग्री के साथ प्यास बुझाने के लिए पानी के लिए भी जद्दोजद कर रहे है. हम बात कर रहे है जिले के गुजरात सीमा से सटे चितलवाना उपखंड के गांवों की.
रोजी रोटी के बाद पानी पर भी लॉकडाउन जिस जगह लॉकडाउन में काम काज ठप होने के कारण लोगों की रोजी रोटी पर संकट आ गया. साथ में पीने के पानी के लिए कई किमी पैदल सफर करने के बावजूद मीठा पानी नसीब नहीं हो रहा है. ऐसे में लोगों ने जुगाड़ करते हुए लूनी नदी क्षेत्र में खड्डे बनाकर उसमें से रिस रिस कर आने वाले मटमैले पानी को पीकर गला तर करना पड़ रहा है. लेकिन मटमैले पानी के लिये भी लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है. सुबह जल्दी उठकर खड्डे में से पानी को लेने जाना पड़ता है. उसमें भी कई बार कोई दूसरा व्यक्ति जल्दी आकर मटमैला पानी भी लेकर चला जाता है.
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ऐसे में भारत विकास परिषद की युवा शाखा के लोग जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री वितरित करते हुए नेहड़ क्षेत्र में पहुंचे तो हालात देखकर दंग रह गए. उसके बाद टीम ने इन गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन सामग्री के साथ अब मीठे और साफ पानी को पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. भारत विकास परिषद की युवा शाखा ने नेहड़ क्षेत्र में हजारों जरूरतमंद लोगों को खाने के लिए राशन सामग्री पहुंचाने के साथ अब टैंकरों से मीठे पानी की व्यवस्था करवाएगी ताकि लोगों को पीने के पानी के लिए दर दर भटकना नहीं पड़े.
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काम काज बंद होने से दिहाड़ी मजदूरों के सामने परिवार का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया. सरकार की तरफ से सहायता होते नहीं दिखने पर भामाशाह लोगों की मदद को आगे आये. इसमें भारत विकास परिषद की युवा शाखा भी है. जिन्होंने लॉकडाउन की अवधि के दौरान जिले में 14 हजार से ज्यादा खाने के पैकेट और 1 हजार से ज्यादा सुखी सामग्री के किट लोगों को वितरित कर चुके है. अब दर्जनों गांवों में पीने के लिए मीठे पानी की व्यवस्था करवाएंगे. जिस क्षेत्र में भारत विकास परिषद पानी की व्यवस्था करवाएगा. उन गांवों में कुछ लोग तो मीठा पानी एक हजार से 1200 रुपये देकर टैंकर मंगवाते है. लेकिन गरीब लोगों के पास इतने पैसे नहीं होने के कारण जुगाड़ करके नदी क्षेत्र में खड्डे खोदकर मटमैला पानी पीने को मजबूर है.