जालोर. जिले के चितलवाना उपखण्ड एक ऐसा मुख्यालय है जिसको 2013 में कांग्रेस की सरकार ने उपखंड का दर्जा तो दिया, लेकिन आज तक वहां पर उपखंड अधिकारी की नियुक्ति ही नहीं की गई. वहीं पिछले लंबे समय से तहसीलदार का पद भी रिक्त है. ऐसे में इस उपखंड मुख्यालय पर आने वाले ग्रामीणों को काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है.
जानकारी के अनुसार जब जिले के सांचोर उपखंड मुख्यालय का परिसीमन करके चितलवाना को अलग उपखण्ड मुख्यालय बनाया गया था. तब ग्रामीणों के मन में एक नई उम्मीद जगी थी कि यहां पर एसडीएम स्तर के अधिकारी बैठेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करगें. जिससे उनको सांचोर या जालोर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, लेकिन वक़्त के साथ ग्रामीणों का यह सपना चकनाचूर होता गया.
ग्रामीणों के मुताबिक 2013 में उपखंड बनने के बाद 2016 में चितलवाना में प्रशिक्षु आरएएस अधिकारी राजेन्द्र सिंह सिसोदिया को 15 मई से 15 जुलाई तक एसडीएम के पद पर नियुक्त किया गया था. उसके बाद प्रशिक्षु आरएएस रमेश कुमार को 1 मई 2018 को नियुक्त किया गया और 30 जून 2018 को पद से हटा दिया गया था. उसके बाद आजतक यहां का चार्ज सांचौर एसडीएम के पास में है. जिसके कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
1577 प्रकरण पेंडिंग है चितलवाना उपखंड में
आम जनता ने अपने राजस्व प्रकरण को इस उम्मीद में दर्ज करवाया था कि उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन सक्षम अधिकारी की पोस्टिंग नहीं होने के कारण आज तक चितलवाना उपखंड में 1577 राजस्व प्रकरण पेंडिंग चल रहे है.