जालोर. जिले में फिसल बीमा कम्पनी किसानों के साथ मनमानी कर रही है. जिसके खिलाफ किसानों ने सड़क पर उतर आए हैं और विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि बीमा कम्पनी 31 जुलाई 2019 तक ऑनलाइन फसलों का बीमा किया. उसके बाद 13 अगस्त को अपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन के सामने रखी.
ऐसे में किसान बीमा कम्पनी पर सवाल खड़ा कर रहा है कि मात्र 10 दिनों में जिले की 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांवों का सर्वे बिना किसी टीम के किस आधार पर कर लिया है. किसानों का कहना है कि पूरे जिले का सर्वे करने के लिए 200 लोगों की टीम भी होती, तो भी दस दिनों में सर्वे नहीं किया जा सकता था.
फसल बीमा कंपनी का विरोध करते किसान बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के अन्नदाताओं को उनकी फसलों का बीमा करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी. इसमें किसानों को बड़े-बड़े सपने दिखाए गए थे. उनको कहा गया था कि इसमें कुछ प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी पड़ेगी. वहीं बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी. जिसके बाद अगर किसानों की फसल खराब होती है, तो क्लेम राशि दी जाएगी.
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2018 में जालोर जिले में सरकार ने अकाल घोषित कर दिया था. इसके वाबजूद भी बीमा कम्पनी ने किसानों को क्लेम की राशि नहीं दी है. पूरा साल बीत गया. लेकिन बीमा राशि नहीं मिलने के कारण किसान उस बीमा राशि के क्लेम को लेकर आज भी आंदोलन कर रहे हैं. उनको सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. वहीं 2019 में भी किसानों के साथ छलावा करने के लिए कंपनी ने नया पैतरा अपनाया है. इसके लिए 31 जुलाई तक ऑनलाइन बीमा किया गया. उसके ठीक 10 दिन बाद ही कंपनी सर्वे रिपोर्ट प्रशासन को सौप देती है. जिसमें बताया जाता है कि जिले के 244 ग्राम पंचायतों में से 117 ग्राम पंचायतों में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई नहीं की है.
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जबकि किसान दावा कर रहा है कि उन्होंने फसलों की बुवाई की है. ऐसे में किसान सवाल खड़ा कर रहा है कि जिस बीमा कंपनी ने जिले के 244 ग्राम पंचायतों के तकरीबन 800 से ज्यादा राजस्व गांव है. उसका सर्वे किस आधार पर किया. और दिखाया कि 117 ग्राम पंचायतों में तो बुवाई हुई ही नहीं हैं. किसानों का कहना है कि जो कंपनी अभी से ही 25 प्रतिशत के लिए किसानों के साथ छलावा कर रही है. वह किसानों के साथ आगे कैसे न्याय कर पाएगी. यह संभव नहीं है.
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जानकारी के अनुसार किसानों का यह भी आरोप है कि बीमा करने वाली कंपनी का जालोर में ऑफिस भी नहीं है. उसने बड़े स्तर पर तकरीबन 800 राजस्व गांवों का सर्वे प्रशासन और किसानों को भनक लगने से पहले ही करवा दिया है. वहीं मात्र दस दिनों में पूरे जिले का सर्वे करने की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी भी हैरान है. जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारी भी सकते में आ गए हैं.