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जैसलमेर: SDM अंशुल कुमार सिंह की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव के लिए रवाना

जैसलमेर में फतेहगढ़ उपखंड एसडीएम की रविवार को सड़क हादसे में मौत हो गई थी. हादसे में उनकी पत्नी और चालक भी घायल हो गए थे. सोमवार को उनकी पार्थिव देह उनके गांव के लिए रवाना की गई.

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एसडीएम का पार्थिव शरीर पैतृक गांव के लिए रवाना

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Published : Jul 27, 2020, 11:06 PM IST

जैसलमेर.फतेहगढ़ उपखंड के एसडीएम अंशुल कुमार सिंह की रविवार देर रात हुए सड़क हादसे में मौत हो गई थी. उसके बाद अंशुल कुमार सिंह को सोमवार को नम आंखों के साथ जैसलमेर से उनके पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया. एसडीम के पिता और भाई जैसलमेर पहुंचे व परिवारजनों के जैसलमेर पहुंचने के बाद SDM सिंह के शव का पोस्टमार्टम किया गया.

एसडीएम का पार्थिव शरीर पैतृक गांव के लिए रवाना

पोस्टमार्टम के बाद अंशुल कुमार सिंह का शव उनके पिता और भाई को सुपुर्द किया गया. जिला कलेक्टर आशीष मोदी, पुलिस अधीक्षक डॉ. अजय सिंह ने उनके पिता को इस दुख की घड़ी में ढांढस बंधाया और कहा कि अंशुल कुमार सिंह उनके परिवार का एक हिस्सा था, जिसकी कमी उन्हें हमेशा खलेगी. पोस्टमार्टम के बाद अंशुल कुमार सिंह के पार्थिव देह को जिलाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने पुष्प चक्र और पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. सभी ने नम आंखों के साथ दिवंगत अंशुल कुमार सिंह के पार्थिव देह को उनके पैतृक गांव के लिए रवाना किया.

यह भी पढ़ेंःजैसलमेर: SDM अंशुल सिंह की सड़क हादसे में मौत, पत्नी और ड्राइवर गंभीर रूप से घायल

गौरतलब है कि रविवार देर रात फतेहगढ़ एसडीएम अंशुल कुमार सिंह जैसलमेर से फतेहगढ़ की तरफ जा रहे थे. ऐसे में जैसलमेर से निकलते ही करीब चार किलोमीटर बाद बाड़मेर रोड पर एसडीएम के सरकारी वाहन की ट्रक से भिड़ंत हो गई थी, जिसमें फतेहगढ़ एसडीएम सिंह की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं गाड़ी में सवार उनकी पत्नी और ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया था. जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जोधपुर रेफर किया था. उनका फिलहाल जोधपुर के एम्स में उपचार जारी है.

सिंह मूलतः जयपुर रहने वाले थे, जिन्होंने हाल ही में जैसलमेर के फतेहगढ़ उपखंड अधिकारी के रूप में 4 जुलाई को कार्यभार ग्रहण किया था. इससे पहले सिंह करौली में प्रशिक्षु के रूप में कार्यरत थे और उसके बाद उनको पहली पोस्टिंग जैसलमेर फतेहगढ़ में दी गई थी. वे आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे और उनका लक्ष्य था कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर जनता की सेवा करें. लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.

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