जयपुर. आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान मुद्रक और प्रकाशक के नाम के बिना चुनाव से संबंधित प्रचार सामग्री छापना महंगा पड़ सकता हैं. इसके लिए जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने एक आदेश जारी किया है. जिसके तहत चुनाव प्रचार सामग्री तैयार करने वाले मुद्रक और प्रकाशक का नाम दर्ज होना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर 6 माह का कारावास की सजा का प्रावधान भी है.
मुद्रक और प्रकाशक के नाम के बिना चुनाव प्रचार सामग्री छापने पर हो सकती है 6 माह की सजा
जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने एक आदेश जारी किया है. जिसके तहत चुनाव प्रचार सामग्री तैयार करने वाले मुद्रक और प्रकाशक का नाम दर्ज होना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर 6 माह का कारावास की सजा का प्रावधान भी है.
जिला निर्वाचन अधिकारी जगरूप सिंह यादव ने बताया की लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है. प्रदेश में दो चरणों में 29 अप्रैल और 6 मई को लोकसभा चुनाव होंगे और इसके लिए पोस्टर बैनर, पम्पलेट व अन्य प्रचार सामग्री का बहुत उपयोग किया जाएगा. कलेक्टर जागरूप सिंह यादव ने कहा कि मुद्रक, समाचार पत्र व मुद्रणालय को चुनाव संबंधी मुद्रित सामग्री पर नाम व पता अंकित करना जरूरी होगा. साथ ही ऐसे व्यक्तियों को जो प्रकाशित करवाना चाहते हैं उन्हें दो व्यक्तियों द्वारा सत्यापित लिखित घोषणा की दोहरी प्रति प्रकाशक को देनी होगी, जिसे उसके द्वारा दस्तावेजों के मुद्रित होने के उपरांत एक-एक प्रति राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट को भेजनी जरूरी होगी.
चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार द्वारा प्रिंट मीडिया में दिए गए चुनाव से संबंधित मामले में प्रकाशको और मुद्रकों को अपना नाम और पता देना होगा. प्रकाशकों और मुद्रकों को इस आदेश की पालना करनी जरूरी होगी. यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो 6 महीने की सजा और 2000 रुपये का जुर्माना दोनों हो सकते हैं.