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विधायक जनता की समस्याएं प्रश्नों के जरिए उठाते हैं विधानसभा में...लेकिन अधिकारी जवाब देने में करते हैं लेटलतीफी

अधिकारियों की लापरवाही से 10वीं विधानसभा से 13वीं विधानसभा तक के 3000 सवाल पहले ही ड्राप हो चुके हैं. अब भी 13वीं विधानसभा के दसवें और ग्यारहवें सत्र और चौदहवी विधानसभा के सभी 11 सत्रों को मिलाकर 2895 सवाल अधिकारियों की लापरवाही से पेंडिंग हो गए.

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Published : Jun 22, 2019, 5:33 PM IST

जनता के सवालों के जवाब पड़े है पेंडिंग

जयपुर. जनता के लोकतंत्र के मंदिर यानी कि विधानसभा में जनता विधायक को अपनी आवाज उठाने के लिए चुनकर भेजती है लेकिन हालात यह है की विधायक जनता की आवाज तो उठाते हैं लेकिन उनकी आवाज भी अधिकारियों की लापरवाही के चलते दब जाती है अगर यह कहा जाए कि राजस्थान विधानसभा में विधायकों के हक पर ही प्रहार लगातार सालों से हो रहा है तो कोई गलत बात नहीं होगी. सरकारी विभागों की लापरवाही के कारण विधायकों को समय पर उनके प्रश्नों के जवाब नहीं दिए जा रहे हैं. 27 जून से 15 जून तक विधानसभा का दूसरा सत्र शुरू होने जा रहा है और विधायकों ने फिर से प्रश्न भी लगा दी हैं.

लेकिन अभी तक पिछले सत्रों का सवालों का हिसाब ही पूरा नहीं हो पाया और 13वीं विधानसभा के दसवें और ग्यारहवें सत्र और चौदवीं विधानसभा के सारे सूत्रों को मिला दिया जाए तो अब तक 2881 सवाल ऐसे इकट्ठे हो चुके हैं जिनके जवाबों का इंतजार विधायकों को है. विधायकों को उनके सवालों के जवाब तो नहीं मिले लेकिन इतना समय निकल गया कई विधायक तो विधानसभा के सदस्य ही नहीं रहे. यही हालात अब 15वीं विधानसभा में भी दिखाई दे रहे हैं जहां 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में कुल 1474 सवाल लगे थे जिनमें से 589 सवालों के जवाब अब तक विधायकों को नहीं मिले हैं. अधिकारियों की गलती से पहले भी दसवीं विधानसभा से तेरहवीं विधानसभा के नवे सत्र तक के 3000 सवाल किए जा चुके हैं. ऐसा नहीं है कि सवालों के जवाब आने में देरी होना तेरी विधानसभा के दसवें सत्र से शुरू हुआ लेकिन यह सिलसिला पुराना है और पुराना भी कोई दो-तीन साल नहीं बल्कि करीब 25 साल पुराना.

दरअसल सवालों की लेटलतीफी और देरी हो जाने के चलते उन सवालों की अहमियत खत्म होने के चलते 10 वीं विधानसभा से लेकर 13वीं विधानसभा तक के 3000 सवालों को पहले भी ड्रॉप किया जा चुका है 13वीं और 14वीं विधानसभा के भी 2881 सवाल फिर से ऐसे खड़े हो गए हैं जो अब तक अनुत्तरित है जबकि वह सरकारें और सवाल पूछने वाले ज्यादातर विधायक भी बदल चुके हैं.

विधानसभा के नियमों की बात करें तो इसके अनुसार विधानसभा सत्र खत्म होने के 21 दिन में विधायक को उसके प्रश्न का जवाब मिल जाना चाहिए इस अवधि के बाद सवालों के जवाब सरकार से लेने के लिए मामला विधानसभा की प्रश्न व संघर्ष समिति को सौंप दिया जाता है यह समिति जवाब लेने के लिए सरकार व उसके विभागों को दिशा निर्देश देती है फिर भी जवाब नहीं मिलने पर समिति संबंधित अधिकारी के खिलाफ मुख्य सचिव को सिफारिश भी कर सकती है नियम है लेकिन इसकी पालना वैसी नहीं हो रही है जैसी होनी चाहिए अभी प्रश्न संबंधित विभागों में घूम रहे हैं लेकिन विभागों के अधिकारी जवाब नहीं दे रहे दरअसल कई प्रश्न घोटालों से जुड़े होते हैं ऐसे में जवाब दिया तो आज अधिकारी पर ही आती है अधिकांश सवाल बिजली पानी सड़क जैसी विभागों से जुड़े होते हैं.

अधिकारियों की लापरवाही से जनता परेशान


13वीं विधानसभा के अब तक पेंडिंग सवाल
13 वीं विधानसभा के 11वें सत्र के 14 सवाल अभी पेंडिंग है
13 वीं विधानसभा के दसवीं सत्र के 39 प्रश्न अब भी पेंडिंग है

14 वीं विधानसभा के अब तक पेंडिंग सवाल
14 वीं विधानसभा के पहले सत्र का एक सवाल अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के दूसरे सत्र के 42 सवाल के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के तीसरे सत्र के एक सवाल का जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के चौथे सत्र के 50 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के पांचवे सत्र के 20 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के छ्ठे सत्र के 233 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के सातवें सत्र के 109 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के आठवें सत्र के 593 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के नवे सत्र के 170 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के दसवे सत्र के 1391 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है
14 वीं विधानसभा के ग्यारहवे सत्र के 232 सवालों के जवाब अब तक पेंडिंग है

15वीं विधानसभा के पेंडिंग सवाल
15वीं विधानसभा एक ही सत्र हुआ है लेकिन इसमें भी अधिकारियों की सवालों के जवाब देने में लेटलतीफी जारी है 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में कुल 14 से 74 सवाल लगे थे जिनमें से अब तक 589 सवालों के जवाब विधायकों को नहीं मिले हैं. कहा यह भी जाता है कि प्रश्नों को लंबे समय तक लंबित रखने की एक रणनीति होती है और बाद में फिर से समय गुजरने पर उसे ब्लॉक कर दिया जाता है नियमों की पालना के लिए सख्त माने जाने वाले विधानसभा के स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी के कार्यकाल में ऐसी रणनीति कोई अधिकारी कर सकेगा यह लगता नहीं है लेकिन स्पीकर सीपी जोशी को भी इसे लेकर सख्त कदम उठाने होंगे.

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