जोधपुर.जारी विज्ञप्ति के अनुसार 16 मई 2020 को आयोजित फुलकोर्ट में पारित संकल्प की अनुपालना में कोरोना वायरस कोविड-19 संक्रमण के कारण वर्ष 2020 में किसी भी न्यायिक अधिकारी को ग्रीष्मावकाश के उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी.
वहीं घोषित राजपत्रित अवकाश, रविवार का अवकाश, द्वितीय व चतुर्थ शनिवार अवकाश के अतिरिक्त 1 जून से 28 जून 2020 की अवधि में प्रदेश की समस्त अधीनस्थ अदालतें खुली रहेंगी. सिविल न्यायालय कलेंडर 2020 के अनुसार कार्य करेंगे.
दीवानी न्यायालयों को फौजदारी मामले अंतरित किए जाएंगे. जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सभी जिला एवं सेशन न्यायाधीश अपने न्यायक्षेत्र के उन न्यायालयों को, जो अन्यत्र दीवानी कार्य कर रहे हैं उपरोक्त समयावधि के लिए सुनवाई एवं निस्तारण के लिए समुचित फौजदारी कार्य, अपील, रिविजन और ऐसे मामले जो अंतिम बहस के प्रक्रम पर हो तथा जिनका उक्त अवधि में
निस्तारण संभव हो अंतरित करेंगे.
वहीं इस समयावधि के दौरान सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय अथवा उच्च अधिकारिता वाले न्यायालयों से प्राप्त निर्देशों के प्रकरण इस समयावधि में अंतरित नहीं किए जाएंगे. समस्त अंतरित प्रकरणों की सूचना 11 जुलाई तक जिला एवं सेशन न्यायाधीशों को हाईकोर्ट प्रशासन को भेजनी होगी.
रंगदारी और धमकी के मामले में आरोपी याचिकाकर्ता कैलाश मांजू अंतरिम पर सुनवाई:
राजस्थान हाईकोर्ट में जोधपुर शहर में रंगदारी के लिए धमकियां देने के आरोपी याचिकाकर्ता कैलाश मांजू की ओर से पेश अंतरिम जमानत आवेदन की मंगलवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष के माध्यम से जेल अधिकारियों को एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक से संपर्क करते हुए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करते हुए याचिकाकर्ता की हालत की जांच तीन दिन में करते हुए रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है.
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राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस विजय विश्नोई ने मांजू की ओर से चिकित्सकीय कारणों से पेश अंतरिम जमानत आवेदन की सुनवाई करते हुए निर्देश दिये गये हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुनील जोशी ने कहा कि, याची के अजमेर जेल में रहने के दौरान कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड गठित करते हुए 1 अगस्त 2019 को जांच करते हुए स्पाईनल डिजीज में तुरंत सर्जरी करने को लेकर रिपोर्ट पेश की थी.
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कोर्ट ने इसे उचित समझा कि, जमानत आवेदन के साथ संलग्न रिपोर्ट 1 अगस्त 2019 की है. याचिकाकर्ता की वर्तमान हालत की जांच आवश्यक है. इसके लिए जेल प्रशासन से एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक से सम्पर्क कर मेडिकल बोर्ड गठित करते हुए तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए है.
हाईकोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई के दौरान 7 मई 2020 को निर्देश दिए थे कि, याचिका के साथ संलग्न मेडिकल रिपोर्ट पुरानी है तथा मामले की सुनवाई के लिए ताजा रिपोर्ट की दरकार है. इस पर जेल अधीक्षक की ओर से पेश रिपोर्ट के अनुसार कहा गया था कि, याचिकाकर्ता को एमडीएम अस्पताल के चिकित्सकों की ओर से दी गयी सलाह के अनुसार ट्रीटमेंट
दिया जा रहा है.