जयपुर. राजस्थान में इस बार नेताओं के परिजनों के टिकट को लेकर काफी माथापच्ची चल रही है. इसी बीच कई नेताओं ने अपने बेटे बेटियों के लिए रिटायरमेंट का ऐलान करते हुए सीट छोड़ने की बात करनी शुरू कर दी है. अब भले ही सालों से राजनीति कर रहे नेता जिनका अपनी विधानसभा में एकछत्र राज रहा हो, वह अपने परिजनों के लिए रिटायरमेंट की बात करते दिखे, लेकिन पार्टी टिकट किसे मिलेगा ? इसका निर्णय उन नेताओं की इच्छा के आधार पर नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि पार्टी यह देखेगी की नेता पुत्र या नेता पुत्री चुनाव जीतने लायक है या फिर अभी पुराने चेहरे पर ही दांव लगाया जाएगा.
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने यह साफ कर दिया कि टिकट किसी नेता की इच्छा के आधार पर नहीं तय होंगे, बल्कि पार्टी खुद यह देखेगी की उस नेता को चुनाव लड़ाया जाना चाहिए या फिर किसी नए चेहरे को मौका दिया जाना चाहिए. रंधावा ने साफ लहजे में कहा कि यह किसी नेता का अधिकार नहीं है कि वह तय करे कि टिकट उसे मिले या उसके परिजन को. यह अधिकार केवल पार्टी ने अपने पास रखा है कि वह अपनी सोच के अनुसार चुनाव में टिकट दे.