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BSF की मदद से अब टिड्डियों के खात्मे की तैयारी शुरू: डॉ. जेआर भास्कर - BSF will finish Locusts

राजस्थान के 14 से ज्यादा जिलों में टिड्डी दलों का आतंक फैल चुका है. टिड्डियों के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. हमने बाड़मेर कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर से बातचीत की. किसान सेना की भूमिका, BSF से सहयोग की मांग, राजस्थान के बाहर दूसरे राज्यों में टिड्डियों के फैलाने की वजह के अलावा और क्या कुछ कहा उन्होंने, पढ़िए ये पूरी खबर...

Locusts attack, टिड्डी अटैक
बाड़मेर कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर से बातचीत

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Published : Jun 1, 2020, 11:13 PM IST

जयपुर.बाड़मेर कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर ने कहा कि कोरोना के दौरान भी टिड्डियों को नजर अंदाज बिलकुल भी नहीं किया जा रहा है. इस समय जो टिड्डियां आई हुई हैं वह अलग तरीके की हैं जिसका रंग भी पिंक है. इनके उड़ने की रफ्तार बहुत तेज है. इस वक्त हवा भी तेज चल रही है जिसकी वजह से यह अलग-अलग हिस्सों में जल्दी से पहुंच जा रही हैं. कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर ने कहा कि यह टिड्डी दिखने में छोटी है पहले की अपेक्षा. इसको अगर हम रात या फिर दिन में मारने की कोशिश करते हैं तो ज्यादातर भागने में कामयाब भी हो जा रही हैं.

बाड़मेर कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर से बातचीत: पार्ट-01

किसान सेना कैसे लड़ रही है टिड्डियों से?

पिछली बार की तरह इस बार भी किसान सेना एक्टिव है. किसान अपने प्रयासों से इसे भगाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं और हमारा भी सहयोग कर रहे हैं. डॉ. जे.आर भास्कर ने कहा कि ये पिंक कलर वाली टिड्डी रात में भी एक्टिव रहती है और सुबह जल्दी उड़ने लगती है जिसकी वजह से इसे खत्म करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है. कई बार आंधी या तेज हवा की वजह से अलग-अलग क्षेत्रों में बिखर जाती है.

राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका:

डॉ. भास्कर ने कहा कि हमें अभी तक पूरी तरह से सभी का सहयोग मिलता रहा है. स्थानीय लोग, किसान, काश्तकार, स्थानीय प्रशासन और सरकार पूरी तरह से हमारी मदद कर रही है. इन सभी की मदद से हम टिड्डियों को खत्म करने में लगे हैं. केंद्र सरकार का टिड्डी नियंत्रण केंद्र भी हमें पूरी तरह से सहयोग दे रहा है.

इस बार की टिड्डी कितनी खतरनाक?

कृषि विस्तार के उप निदेशक ने कहा कि बारिश के मौसम में जो टिड्डी आती है वह पीले कलर की होती है. पीले रंग वाली टिड्डी एक्टिव भी कम होती है. इसकी उड़ने की गति भी कम होती है. लेकिन इस वक्त जो टिड्डी आ रही है वो पिंक रंग की है. इसकी उड़ने की क्षमता बहुत ज्यादा है इसलिए अभी जो एक्टिव पिंक रंग की टिड्डी है ये ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है. उन्होने कहा कि अगले महीने जो टिड्डी आने वाली है उस पीले रंग वाली टिड्डी को कंट्रोल करने में हम सक्षम हैं और तैयार भी.

टिड्डियों का अभी तक कोई तोड़ क्यों नहीं?

डॉ. भास्कर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास इसका कोई तोड़ या फिर इसे हम खत्म नहीं पा रहे हैं. उन्होंने कहा पहली बार ये 1993 में आई थी उनके बाद 2019 में टिड्डी दल का हमला हुआ था. पिछले साल हमने किसान और काश्तकारों के सहयोग से इस पर हमने नियंत्रण किया था. लेकिन इस बार अप्रैल-मई के महीने में पिंक रंग वाली टिड्डी आई जिसको रोकने में थोड़ी परेशानी हो रही है.

बाड़मेर कृषि विस्तार के उप निदेशक डॉ. जे.आर भास्कर से बातचीत: पार्ट-02

किसानों को आगाह करने के लिए BSF से मदद:

उन्होंने कहा कि इसकी सूचना के लिए बीएसएफ से हमने दो दिन पहले ही बात की है. हमने उनके कहा है कि जैसे ही टिड्डी सीमा पर घुसती हैं वैसे ही बीएसएफ हमें आगाह कर दे, जिससे इसे नियंत्रण करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके. उन्होंने कहा, हमने काश्तकारों से भी बात करके कुछ ग्रुप बना रखे है जो किसानों को सूचना देंगे.

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इस साल दूसरे राज्यों तक टिड्डी फैलने की वजह?

डॉ. भास्कर ने कहा कि इस वक्त भारत में जो टिड्डी आई है वह अप्रैल-मई महीने में ही आ गई है. इस वक्त राजस्थान में ग्रीनरी और वेजिटेशन बहुत कम होता है यही वजह है कि अब ये आसपास के प्रदेशों में भी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बारिश की वजह से अगले महीने राजस्थान में वेजिटेशन उपल्ब्ध हो जाएगा जिसके बाद दूसरे राज्यों जाने के संभावना इनकी कम हो जाएगी.

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