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मीसाबंदी पेंशन पर गहलोत सरकार का ब्रेक...कटारिया ने कहा- जो 18 दिन जेल में नहीं रहे वो आज 18 महीने तक जेल में यातना झेलने वालों की बात कर रहे हैं

जयपुर में ईटीवी भारत से खास बातचीत में भाजपा नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मीसाबंदी और डीआईआर की पेंशन बंद किए जाने को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो 18 दिन भी जेल नहीं गए होंगे, वे 18 महीनों तक जेल की यातना झेलने वालों की बात कर रहे हैं.

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Published : Oct 14, 2019, 5:01 PM IST

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जयपुर.भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई मीसाबंदी और डीआईआर की पेंशन को बंद करने के अशोक गहलोत कैबिनेट के फैसले पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहने का दंश झेल चुके मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने गहलोत सरकार के इस फैसले को अविवेक पूर्ण फैसला करार दिया है.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

इस पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने कहा कि जो लोग 18 दिन देश के लिए जेल में नहीं रहे हों अब वो लोकतंत्र की रक्षा के लिए 18 महीने जेलों में रहने वाले लोकतंत्र के रक्षकों पर फैसला दे रहे हैं, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.

स्वतंत्रता सेनानियों से अधिक समय जेल में बंद रहे मीसाबंदी और डीआईआरः कटारिया

ईटीवी भारत से खास बातचीत में गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि देश में स्वतंत्रता सेनानियों से अधिक समय तक लोकतंत्र की रक्षा के लिए मीसाबंदी डीपीआर जेल में बंद रहे. कटारिया के अनुसार ऐसे इक्का-दुक्का ही स्वतंत्रता सेनानी रहे होंगे जिन्होंने 18 महीने जेल में गुजारे होंगे. लोकतंत्र की रक्षा के लिए हजारों मीसाबंदियों को18 माह तक जेल की यातनाए झलने पड़ा. ऐसे में यदि स्वतंत्रता सेनानियों की तरह मीसाबंदी और डीआईओ के लिए पेंशन शुरू की गई तो उसमें कांग्रेस को आपत्ति नहीं होना चाहिए थी.

अशोक गहलोत सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें कि इंदिरा गांधी सरकार का आपातकाल लगाने का फैसला सही थाः कटारिया

गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश की गहलोत सरकार ने जो फैसला कैबिनेट में लिया है वह अत्यंत ही निंदनीय है. अब अशोक गहलोत को सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करना चाहिए कि उनकी ही इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल में जो आपातकाल लगाने का फैसला लिया गया था, उसे वह सही मानते हैं. कटारिया के अनुसार देश की जनता ने इंदिरा गांधी सरकार के उस फैसले के खिलाफ अगले ही चुनाव में अपना आक्रोश व्यक्त किया था और गाय और बछड़े को चुनाव में साफ कर दिया था.

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इस दौरान कटारिया ने बताया कि मीसाबंदी और डीआईआर किसी पार्टी या संघ से नहीं थे, बल्कि आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाने वाले हर जाति, धर्म और विचारधारा के लोगों से जुड़े हुए थे. लेकिन, कांग्रेस ने इस प्रकार का निर्णय लेकर अपनी मानसिकता का उदाहरण दे दिया है.

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