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जीजा-साले ने 113 करोड़ 48 लाख की GST चोरी की...अब सलाखों को पीछे...

वस्तु एवं सेवाकर आसूचना महानिदेशालय जयपुर यूनिट ने बड़ी जीएसटी चोरी का खुलासा किया है. डीजीजीआई ने 113 करोड़ 48 लाख की जीएसटी चोरी में जीजा साले को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों ने 700 करोड रुपए के फर्जी बिल जारी किए थे. डीजीजीआई जयपुर यूनिट ने आरोपी कपिल विजयवर्गीय और उसके साले मोहित विजयवर्गीय को गिरफ्तार किया। आज सुबह दोनों आरोपियों को आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया गया.

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Published : Mar 2, 2019, 9:08 PM IST

113 करोड़ 48 लाख की GST चोरी

जयपुर.पुलिस ने जीजा-साले दोनों आरोपियों को अशोक नगर थाने की हवालात में बंद किया गया. जिसके बाद आज सबुह दोनों आरोपियों को आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया गया.डीजीजीआई के एडीजी राजेंद्र कुमार ने प्रेसवार्ता कर जीएसटी चोरी का खुलासा किया है. एडीजी राजेंद्र कुमार ने बताया कि मैसर्स तनिष्क स्टील एंड टिंबर और मैसर्स जीवनलाल मोहित कुमार एंड संस के खिलाफ जांच शुरू की गई थी. जांच से यह तथ्य उजागर हुए कि कपिल विजयवर्गीय और मोहित विजय ने माल की आपूर्ति के बिना नकली बिल जारी किया है, और इस तरह के बिलों पर आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया है.

113 करोड़ 48 लाख की GST चोरी

डीजीजीआई ने इनके संबंधित 11 ठिकानों पर सर्च किया, और कार्रवाई के दौरान कई दस्तावेज मोबाइल फोन, डेक्सटॉप, लैपटॉप जब्त किए गए. इन दस्तावेजों और मोबाइलों की जांच से पता चला कि कपिल विजय और मोहित विजय के पास 21 फर्मे थी. जिनमें वह लोग फर्जी बिल जारी कर रहे थे. इसके अलावा मोहित विजय की अलग से 6 फार्म पाई गई. जिसमें फर्जी इनवॉइस का काम हो रहा था. जांच में सामने आया कि कपिल विजय और मोहित विजय ने जीएसटी और उसके नियमों से संबंधित विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है.


इन फर्जी फर्मों के जरिए दोनों आरोपियों ने 670.14 करोड रुपए के बिल जारी किए. जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट 113 करोड रुपये है. जांच के दौरान जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ. इन्होंने राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में भी फर्जी इनवॉइस जारी किए. आरोपियों ने मुख्य रूप से मार्बल, ग्रेनाइट, फैब्रिक, कॉस्मेटिक, सीमेंट, टिंबर, लोहे और स्टील के बिल जारी किए थे. अब तक की जांच में सामने आया है कि इन फर्मों को माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना फर्जी चालान के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट को फर्जी तरीके से बांटने के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया था. यह लोग फर्जी आईडी से लोगों के नाम से फर्म खोलते थे, और फिर उनसे जीएसटी के फर्जी बिल काट देते थे.

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