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सदन में गाय को लेकर जमकर चले शब्दबाण, किसी ने कहा साध्वी तो किसी चूहा और मूषक से किया संबोधित

राजस्थान विधानसभा में गाय के मुद्दे को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ. विधायक शकुंतला रावत, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और मंत्री शांति धारीवाल की ओर से दिए गए बयानों में एक-दूसरे पर निशाने साधे. इतना ही नहीं कई शब्दों को लेकर अन्य कई सदस्यों ने आपत्ति भी जताई.

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Published : Aug 2, 2019, 10:33 PM IST

गाय को लेकर सदन में जमकर चले शब्दवाण

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत ने गाय को लेकर सदन में संकल्प प्रस्ताव रखा. लेकिन जब शकुंतला रावत बोल रही थीं तो भाजपा नेता मदन दिलावर ने उन्हें बीच में टोका तो शकुंतला रावत ने भी उन्हें कह दिया कि आप बार-बार क्यों बीच में फूदकते हो. क्या पिछले जन्म में चूहे थे. उन्होंने गाय की व्याख्या भी एक पूजनीय के तौर पर की. इस पर जब उप नेता प्रतिपक्ष बोलने लगे तो उन्होंने ये संकल्प रखने वाली शकुंतला रावत को साध्वी कह दिया.

गाय को लेकर सदन में जमकर चले शब्दवाण

इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने विरोध किया. विरोध बढ़ता देख राजेन्द्र राठौड़ ने अपने साध्वी शब्द को वापस ले लिया. लेकिन उसके बाद इसी विषय पर बोलने उठी भाजपा विधायक किरण महेश्वरी ने साध्वी शब्द महिलाओं के लिए सम्मान का परिचायक बताया. माहेश्वरी ने कहा कि साध्वी शब्द तो महिलाओं के लिए सम्मान की बात है, अगर कोई महिला को गलत शब्द बोलता तो सबसे पहले हम ही विरोध करते.

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इधर, ये मामला शांत हुआ ही था कि उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्री शांति धारीवाल की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक ओर धारीवाल है जो गाय के लिए सदन में जानवर शब्द का इस्तेमाल करते है. इस पर फिर एक बार हंगामा हो गया और धारीवाल फिर बोलने के लिए खड़े हो गए तो राठौड़ ने कहा कि अभी मुझे बोलने का अधिकार है.

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ये दाल भात में मूषकचंद कहां से खड़े हो गए, लेकिन धारीवाल ने अपनी बात पूरी की और कहा कि उन्होंने यूडीएच डिपार्टमेंट की मांगों पर जवाब देते हुए गाय को लेकर जो कहा था, वो वीर सावरकर की किताब का अंश था. उन्होंने कहा कि मेरा एक भी शब्द इसमें नहीं था, अगर किताब के अलावा मैंने कुछ भी कहा हो तो मैं सजा भुगतने को तैयार हूं.

इसके आगे बोलते हुए धारीवाल ने कहा कि वीर सावरकर तो भाजपा के गुरु गोलवरकर के भी गुरु थे. अगर, आप अपने गुरु के भी गूरु की बात नहीं मानते है तो फिर तो शर्म करो.

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