आरसी चौधरी, चेयरपर्सन, कांग्रेस जयपुर. राजस्थान की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार का यह तीसरा कार्यकाल है, जिसका अंतिम बजट 10 फरवरी को मुख्यमंत्री गहलोत पेश करेंगे. इस साल के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं, इस लिहाज से माना जा रहा है कि बजट घोषणा और रेवड़ियों से भरपूर होगा. हर वर्ग को रिझाने की कोशिश के लिए गहलोत बतौर वित्त मंत्री जब बजट भाषण पढ़ेंगे, तो उनके पिटारे से हर वर्ग को संतुष्ट करने के इरादे जाहिर होंगे. हालांकि बजट घोषणाओं का अंदाजा 10 तारीख को होगा, परंतु इससे पहले मुख्यमंत्री ने अपने इरादे सार्वजनिक रूप से जाहिर कर दिए हैं. सोमवार को जयपुर की सड़कों पर लगे पोस्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री ने यह बता दिया कि उनका बजट किन तीन प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित होने वाला है.
बचत, राहत और बढ़त वाला बजट- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बता चुके हैं कि साल 2023-24 का बजट युवाओं पर केंद्रित रहने वाला है. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने यह भी बता दिया था कि इस बार के बजट में फिर से कृषि को लेकर अलग से घोषणाएं देखने को मिलेंगी. गौरतलब है कि गहलोत अपने पिछले कार्यकाल में अलग से कृषि बजट पेश कर चुके हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर की सड़कों पर लगे होर्डिंग्स में यह संकेत दिए हैं कि यह बजट राहत, बचत और बढ़त के आधार वाला होगा. मतलब हर वर्ग को यह बजट मुनाफे के सौदे के हिसाब से बचत देने वाला होगा. मौजूदा मुद्दों में राहत मिलने के संकेत होंगे और तरक्की की राह पर आगे बढ़ने का संकल्प होगा.
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समझें बचत के मायने- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बजट में बचत को लेकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि देश में सबसे महंगे ईंधन वाले राज्य में और डीजल पर वैट की दरों में कमी की जा सकती है. इसके बाद सस्ता हुआ तेल घरों में बचत का संकेत देगा. वहीं रसोई गैस सिलेंडर से गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को राहत मिल पाएगी. केंद्र की तर्ज पर गहलोत मुफ्त अनाज के बाद पीडीएस राशन सिस्टम में किसी बड़ी राहत का ऐलान कर सकते हैं. मुख्यमंत्री गहलोत की ओर से बचत का संकेत यह भी है कि कर्मचारी वर्ग को गहलोत राहत देंगे, तो शहरी निकायों में टैक्स और पट्टे वितरण की प्रक्रिया में रियायत का ऐलान भी करेंगे.
डीपी और होम पेज को भी बदला इस स्लोगन से यह संकेत हो सकते हैं राहत के- राजस्थान में बिजली की दरें, ऊर्जा संकट और गर्मियों में पेयजल को लेकर समस्याएं हर बार सामने आती है. इसी तरह से कृषक वर्ग के लिए रात में बिजली की सप्लाई और बुवाई के समय खाद-बीज के संकट रहते हैं. माना जा रहा है कि आम आदमी के लिए गहलोत राहत के संकेतों में इन मुद्दों से जुड़ी घोषणाएं कर सकते हैं. अशोक गहलोत सरकार के आने के साथ ही पूर्व में वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में स्टेट हाईवे पर लगने वाले टोल टैक्स में निजी वाहनों के लिए लागू की गई छूट को गहलोत एक बार फिर चुनावी साल की घोषणाओं में शामिल कर सकते हैं. राज्य की जनता और व्यापारियों पर कोई नया टैक्स ना लगा कर भी गहलोत राहत देने का इरादा जता सकते हैं, वही समाज कल्याण विभाग से जुड़ी पेंशन में भी गहलोत वजीफे का इजाफा करके राहत बांट सकते हैं.
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बढ़त यानी तरक्की की राह- अशोक गहलोत सरकार के नए पोस्टर में बढ़त का इशारा और राजस्थान की तरक्की का संकेत दे रहा है. राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, जहां भौगोलिक विषमताओं के बीच उद्योग और व्यापार के लिए असीम संभावनाएं हैं. राजस्थान में अशोक गहलोत अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में और नए क्षेत्रों का ऐलान करके निवेश के जरिए ना सिर्फ बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का संकेत देंगे, बल्कि गैर उपयोगी और बंजर भूमि पर सोलर पार्क के लिए आसान नीति लाकर राहत और आर्थिक तरक्की का संकेत भी देंगे. इस बजट में गहलोत इन्वेस्टमेंट समिट में की गई घोषणा के बाद निवेश के लिए जल्द से जल्द प्रोजेक्ट शुरू करने का काम आसान बनाने का प्रयास करेंगे. गहलोत इस बढ़त में राज्य के युवा वर्ग को भी शामिल करेंगे और रोजगार के विकल्प और अपना रोडमैप रखेंगे, बेरोजगारों के लिए अटकी हुई भार्तियों के साथ ही नई नौकरियों का ऐलान भी करेंगे.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट से पहले लगातार हर वर्ग के साथ संवाद करके उनकी जरूरतों को समझा और मांगों को अपने बजट में शामिल करने की कोशिश की. ब्यूरोक्रेसी में उनकी टीम लगातार जनता के बीच उनकी अपेक्षाओं को समझने की कोशिश कर रही थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बजट पेश करने का लंबा तजुर्बा है, वे दसवीं बार बजट राज्य के लिए पेश करने वाले हैं. ऐसे में उन्हें इस बात का बखूबी अंदाजा है कि जनता किन मुद्दों को पूरा करवाना चाहती है और राज्य के विकास के लिए किन फैसलों को लेना अहम होगा.
आने वाला बजट करीब 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए का हो सकता है. सीएम गहलोत ने मार्च-2022 में जो बजट पेश किया था, अब बजट के लिए सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनके लिए लगभग 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. बता दें कि प्रत्यक्ष करों के जरिए साल 2021-22 में केंद्र को लगभग 14 लाख 12 हजार करोड़ रुपए मिले थे, राजस्थान को इसमें से 6.02% के हिसाब से हिस्सेदारी मिली थी , जो कि आंध्र प्रदेश,कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र के बाद पांचवें नंबर पर है. वहीं राजस्थान के लिए शुभ संकेत यह है कि प्रदेश में राजस्व का इजाफा देखने को मिला है. कुल राजस्व में पिछली बार के 75510.92 करोड़ रुपए की तुलना में 85050.32 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई है. प्रदेश के टैक्स राजस्व में पिछली बार के 49,274.87 करोड़ रुपए की तुलना में 63556.49 करोड़ रुपए हासिल हुए हैं. विकास दर में शुभ संकेत नजर आ रहे हैं और बीते वित्त वर्ष में यह विकास दर 11.04 प्रतिशत वार्षिक पर रही है.
बीजेपी विधायक लाहोटी ने जताई आपत्तिः बजट को पेश करने से पहले सीएम गहलोत ने शहर भर में प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग लगाए हैं. होर्डिंग के जरिए सरकार ने कहा कि ये बजट बचत , राहत , बढ़त वाला होगा. सरकार के इस होर्डिंग पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराइ है. सांगानेर से भाजपा विधायक और राजस्थान वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक लाहोटी ने कहा कि सरकार ने शहर में जगह जगह होर्डिंग लगा कर बजट की गोपनीयता को भंग किया हैं. बजट के बारे में विज्ञापन लगाना गैरकानूनी और असंवैधानिक हैं.
लाहोटी ने कहा कि इसी 10 फरवरी को राजस्थान की गहलोत सरकार बजट पेश कर रही है. बजट सबसे गोपनीय होता है , बजट में पेश किए जा रहे प्रस्तावों को बेहद गोपनीय माना जाता है. यहां तक कि बजट की छपाई से लेकर बजट भाषण के पढ़े जाने तक इसे तैयार करने वाले अधिकारी लगभग कैद में रहते हैं. उनके लिए बाहर से ही खाना लाया जाता है और शायद तब तक वे किसी से बात भी नहीं करते हैं. अब तक किसी भी सरकार ने बजट का कोई कंटेंट बाहर नहीं निकाला. बजट प्रदेश की 7 करोड़ जनता की दशा और दिशा तय करता है.
आरोप लगाया कि प्रदेश की गहलोत सरकार ने बजट पेश करने से पहले ही उसे लीक कर दिया. प्रदेश में जगह जगह बचत, राहत, बढ़त के होर्डिंग मुख्यमंत्री की फोटो के साथ लगे हुए हैं. राजस्थान में बजट में क्या आने वाला है, इसका सरकार विज्ञापन के माध्यम से प्रदेश में प्रचार कर रही है. लाहोटी ने आरोप लगाया कि कहा कि सरकार ने बजट के बारे में पहले ही कंटेंट बाहर लाकर बजट की दशा और दिशा को बाजार में बेच दिया है. उन्होंने कहा कि इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए और अविलंब सरकार को प्रदेश के बाजारों में लगाए गए होर्डिंग हटाकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए.