जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देर रात प्रदेश में 100 यूनिट बिजली और 200 यूनिट तक सभी तरह के चार्ज को फ्री कर दिया. सीएम की इस घोषणा के बाद बीजेपी पूरी तरह से आक्रामक हो गई है. मोदी की सभा के 6 घंटे के भीतर की गई घोषणा के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री गहलोत पर मोदी की सभा से भयभीत होने का आरोप लगा रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी से तमाम नेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री गहलोत को बिजली फ्री के मुद्दे पर घेरा है.
भयभीत हो गए गहलोत :बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया कि क्या आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक सभा से भयभीत हैं सीएम गहलोत ? गहलोत सरकार ने अब तक साढ़े 4 साल में न तो किसानों का कर्जा माफ किया, न बेरोजगारों को भत्ता दिया. 100 यूनिट बिजली फ्री की जगह 100 अपराध कम करने की बात कहते तो हमारे प्रदेश की महिलाएं, बच्चे, दलित, आदिवासी सुरक्षित होते. युवाओं को भी राहत मिलती कि अब प्रदेश में पेपर लीक नहीं होंगे. ये राहत नहीं, घोषणावीर की बस एक और चुनावी घोषणा मात्र है. जो कभी पूरी नहीं होगी बस जनता के साथ छलावा है.
घोषणावीर मुख्यमंत्री :नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट करते हुए कहा कि घोषणा वीर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या गजब की टाइमिंग है. पीएम मोदी के ऊर्जावान संबोधन से आप इस कदर प्रभावित हो गए कि देर रात में आपको राहत की घोषणा करने को मजबूर होना पड़ गया. साढ़े 4 सालों से जनता को लूटने के बाद अब चुनावी साल आते ही यकायक बिजली बिलों में फ्यूल सरचार्ज सहित अन्य शुल्क माफ करने की घोषणा से जनता आपके झांसे में नहीं आएगी. आपकी नीति और नीयत दोनों में खोट हैं. राठौड़ ने कहा कि हद है, साढ़े 4 साल तक औसतन 55 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज विद्युत उपभोक्ताओं से वसूलने वाली कांग्रेस सरकार अब 200 यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज माफ करने की नौटंकी कर रही है, जबकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में फ्यूल सरचार्ज मात्र औसतन 18 पैसे प्रति यूनिट ही था. जब फ्यूल सरचार्ज की बढ़ोतरी के कारण उद्यमी हड़ताल पर हैं तो औद्योगिक इकाइयों का फ्यूल सरचार्ज माफ क्यों नहीं कर रहे? उन्होंने कहा कि घोषणा दर घोषणा करने से पहले आप विद्युत उपभोक्ताओं को दी गई सब्सिडी के विरुद्ध 15 हजार 180 करोड़ की बकाया राशि तो विद्युत कंपनियों को तो चुकाएं. करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए का डिस्कॉम्स का घाटा है. वहीं सब्सिडी के खर्चे के लिए विद्युत कंपनियों को प्रति वर्ष 60 हजार करोड़ का लोन बैंकों से लेना पड़ता है जिसका ब्याज भी सालाना लगभग 6500 करोड़ रुपये होता है. सरकार पहले इन्हें चुकाए और फिर जाकर घोषणाएं करे तो बेहतर होगा.