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लोक गीतों और डांस की प्रस्तुतियों के जरिए कलाकारों ने सजा दी सुरीली सांझ - lokrang programe in jawahar art centre jaipur,

जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में ‘लोकरंग‘ के 7वें दिन राजस्थान के सुप्रसिद्ध लंगा-मांगणियार जनजाति के बाल कलाकारों ने उस्ताद गाजी खान के निर्देशन में शानदार प्रस्तुतियां दी. बाल कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.

lokrang programe in jawahar art centre jaipur, जवाहर कला केन्द्र में ‘लोकरंग‘ कार्यक्रम

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Published : Oct 18, 2019, 9:10 AM IST

जयपुर. जवाहर कला केन्द्र में ‘लोकरंग‘ के 7वें दिन राजस्थान के सुप्रसिद्ध लंगा-मांगणियार जनजाति के बाल कलाकारों ने उस्ताद गाजी खान के निर्देशन में धमाकेदार प्रस्तुतिया दी. ‘नवकंठ‘ कार्यक्रम के तहत जब बाल कलाकारों ने पचरंगी साफा पहन कर अपनी बुलंद आवाज में गायकी शुरू की तो सभी कला प्रेमी उनके मुरीद हो गए. प्रस्तुतियों के दौरान नन्ही कालबेलिया बालिकाओं ने अपना अद्भुत नृत्य पेश कर प्रस्तुति में चार चांद लगा दिए.

लोकरंग के सातवें दिन सुप्रसिद्ध मांगणियार के बाल कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुतिया

इस अवसर पर बाल कलाकारों ने दूल्हे का स्वागत गीत ‘घोडलियो गंगा जल हिसयो‘, शादी का गीत ‘जलालो बिलालो‘ और प्यार का गीत ‘हाथ वाली बिट्टी कमली दूजा ने मत दिजे‘ जैसे गीत पेश कर माहौल को राजस्थानी जोश और उत्साह से भर दिया.

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कार्यक्रम के दौरान श्रोताओं को राजस्थान के पारम्परिक वाद्ययत्रों खड़ताल, सारंगी, ढोलक और हारमोनियम का मनमोहक संगीत सुनने को भी मिला जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे.

गोवा का देखणी नृत्य, ओडिशा का गोटीपुआ और मध्यप्रदेश के बधाई नृत्य ने जमाया रंग

वहीं इस कार्यक्रम में गोवा के देखणी नृत्य के माध्यम से लोक कथा को पेश किया गया. इस प्रस्तुति में गोवा के मंदोवी नदी के पार जाने के लिए महिला नृत्यांगनाएं हाथों में दीपक ले कर गीत गाते हुए नाविक के समक्ष धीमी गति से नृत्य पेश करती है. जिसमें वो बार-बार नदिया पार पहुंचाने की विनती करती है. जिससे वो उस पार विवाह समारोह में जा सके, चाहे इसके बदले में उनसे उनके गहने और पैसे भी ले लिए जाये. यह सुंदर प्रस्तुति देखकर श्रोता तो लोक कला के मुरीद हो चुके थे.

इसके बाद ओडिशा से आए पुरुष लोक नर्तकों ने स्त्रीवेश में गोटीपुआ नृत्य पेश किया. भगवान जगन्नाथ मंदिर में किया जाने वाले इस नृत्यनाट्य का दार्शनिक पक्ष के अनुरूप कृष्ण ही एकमात्र पुरुष हैं और शेष सभी भक्तजन गोपियां हैं.

इसके बाद अगला रंग जमाते हुए मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड से आए लोककलाकारों ने नदीम राईन के निर्देशन में प्रसिद्ध एवं पारम्परिक ‘बधाई‘ लोकनृत्य की रंगबिरंगी प्रस्तुति दी. किसी परिवार में बच्चे के जन्म होने पर घर के सभी सदस्य शीतला माता के समक्ष यह लोकनृत्य अत्यंत हर्षोल्लास के साथ करते हैं. महिला एवं पुरुष नर्तकों ने पारम्परिक वेशभूषा में ‘जन्म लिया रघुरैया अवध में बाजे बधईया‘ गीत पर मार्शल आर्ट की प्रस्तुति देते हुए यह नृत्य पेश किया.

वहीं थाली में दीपक और हाथ में अग्निचक्र का संचालन करते हुए नर्तकों ने खूब तालियां बटोरी. यह प्रस्तुति ढोलक, नगडिया, लोटा, ढपला, रमतूला, बांसुरी के रोचक संगीत के साथ पेश की गई. इन सभी प्रस्तुतियों से बाल कलाकारों ने श्रोतागण को मंत्रमुग्ध कर दिया.

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