डूंगरपुर.आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में तकनीकी शिक्षा का बंटाधार हो गया है और तकनीकी शिक्षा के सपने देख रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय है. डूंगरपुर आईटीआई में 85 प्रतिशत तकनीकी शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. वहीं तकनीकी शिक्षा प्रदान करने का काम संविदा अनुदेशक शिक्षकों के भरोसे ही चल रही है.
बता दें कि आईटीआई डूंगरपुर में कुल 13 ट्रेड में कुल 440 विद्यार्थी अध्ययनरत है. इसके अलावा 4 ब्रिज कोर्स भी चल रहे है, जिनमें कुल 34 शिक्षक अनुदेशक के पद स्वीकृत है. लेकिन इसकी जगह 1 समूह अनुदेशक के अलावा 4 शिक्षक अनुदेशक ही नियमित कार्यरत हैं.
संविदा शिक्षकों के भरोसे आईटीआई वहीं खाली पड़े 29 पदों में से 21 संविदा कार्मिक लगे हुए हैं, जो पढ़ाई के अलावा विभिन्न कार्य कर रहे हैं. खाली पदों और संविदा कार्मिकों के चलते विद्यार्थियों के सालभर का कोर्स भी पूरा नहीं हो पा रहा है. वहीं प्रैक्टिकल कक्षाएं भी विधिवत नहीं लग पा रही हैं.
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आईटीआई डूंगरपुर का हाल-बेहाल
आईटीआई डूंगरपुर में कुल 13 ट्रेड संचालित हैं, जिसमें फिटर, इलेक्ट्रिशियन, वायर मैन, टर्नर, मोटर मैकेनिक व्हीकल, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, डीजल मैकेनिक, प्लम्बर, सिलाई, वेल्डर, हिंदी स्टेनो, ड्राइविंग कम मैकेनिक और कोपा की ट्रेड है. प्रत्येक ट्रेड में 2-2 शिक्षक अनुदेशक के पद स्वीकृत हैं. लेकिन केवल 4 पद ही नियमित रूप से भरे हुए हैं. इसके अलावा ब्रिज कोर्स के रूप में ड्रॉइंग, वर्कशॉप कैलकुलेशन, लायबिलिटी स्किल, आईटी लैब संचालित हैं, जिनके लिए 1-1 शिक्षक अनुदेशक के स्वीकृत हैं, लेकिन ये सभी पद भी खाली हैं.
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आठ नए आईटीआई, लेकिन एक में भी शिक्षक अनुदेशक नहीं
तत्कालीन राज्य सरकार ने जिले में साल 2014-15 में 7 नए आईटीआई खोले. इनमें झोथरी, सीमलवाड़ा, चिखली, गलियाकोट, बिछीवाड़ा, दोवड़ा, आसपुर आईटीआई है. इसके बाद साल 2017-2018 में साबला में आईटीआई की घोषणा की गई. लेकिन 5 साल बाद भी इसमे से एक भी आईटीआई का अभी तक भवन तैयार नहीं हुआ है.
वहीं इन 7 आईटीआई में बिना भवन, बिना उपकरण और बिना तकनीकी शिक्षकों के ही छात्रों को एडमिशन भी दे दी गई. सातों आईटीआई में 1-1 यूनिट खोलकर उनमें 21-21 बच्चों को एडमिशन दे दिया. लेकिन पढ़ाने के लिए उनके भवन नहीं होने से छात्रों को डूंगरपुर और सागवाड़ा आईटीआई में कैम्प लगाकर पढ़ाया जाने लगा. इन सभी 7 आईटीआई में प्रत्येक में 10-10 पोस्ट स्वीकृत हैं. लेकिन एक भी शिक्षक अनुदेशक नहीं है. ऐसे में संविदा कार्मिक के द्वारा ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.