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7 दिन में चले 300 किमी...पैर पत्थर बन गए तो आंखों के आंसू सूख गए...लेकिन अपनों की याद है कि रुकने नहीं देती - jodhpur to haryana narrated

तपता आसमान, आग उगलती धरती, पांव में छाले, सिर पर भारी-भरकम वजन, गोद में बच्चे को उठाए हुए और सफर 600 किलोमीटर का. एक छोटी सी बालिका अपने भाई को गोद में लेकर अपने परिवार के साथ अब तक 300 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर चुकी है और 300 किलोमीटर का सफर अभी भी बाकी है. आग उगलती धरती...

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जोधपुर से चूरू होते हुए हरियाणा जा रहे मजदूर

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Published : Apr 25, 2020, 9:06 PM IST

सरदारशहर (चूरू).देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद मजदूरों की हालत दर से बदतर होती चली जा रही है. जहां एक ओर कोटा में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार घर भेजने की पूरी व्यवस्था कर रही है. वहीं मजदूर 40 डिग्री तापमान में पैदल ही अपने घरों की ओर आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि इन मजदूरों को न तो ट्विटर चलाने आता है, न फेसबुक और न ही ये मजदूर अपना वीडियो बनाकर उसे सरकार तक पहुंचा सकते हैं. आखिर में उनकी सुने तो सुने कौन.

कुछ ऐसा ही दृश्य चूरू के सरदारशहर में देखने को मिला. जहां पर लगभग एक दर्जन से ज्यादा एक ही परिवार के लोग बीकानेर जिले से 100 किलोमीटर आगे से चलकर सरदारशहर पहुंचे. अब तक इन्होंने 300 किलोमीटर का सफर तय कर लिया है. इनकी हालत अब दयनीय होती जा रही है, पांव में छाले पड़ चुके हैं और ऊपर से आग उगलता सूरज.

जोधपुर से चूरू होते हुए हरियाणा जा रहे मजदूर

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लेकिन इस परिवार का कहना है कि ये लोग चना कटाई करने के लिए बीकानेर जिले में मजदूरी के लिए अपने बच्चों को घर छोड़कर आए थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब वाहन बंद हो चुके हैं, इसलिए वे पैदल ही अपने घर की ओर बढ़ रहे हैं. उन लोगों ने बताया कि 300 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं और आगे भी 300 किलोमीटर का सफर बाकी है.

घर की ओर पैदल जाते हुए मजदूर

हरियाणा तक का है सफर...

इस परिवार को हरियाणा राज्य के हिसार जिले से लगभग 50 किलोमीटर और आगे तक जाना है. इन लोगों ने बताया कि इन्हें भूखा प्यासा तो नहीं रहना पड़ता, क्योंकि कुछ लोग इन्हें खाना-पानी और चाय की अच्छी व्यवस्था करवा देते हैं. लेकिन पांव में दर्द इतना है कि अब चला नहीं जाता, लेकिन घर पर बैठे बच्चों की याद इन्हें रुकने नहीं देती.

भाई को पैदल लेकर जाती हुई बहन

उन लोगों ने बताया कि पुलिस जहां भी मिलती है, उन्हें खाने-पीने को पूछती है और वहीं रुकने को बोलती है. लेकिन बच्चों से मिलने की गुहार लगाकर वे वहां से निकल पड़ते हैं. पिछले 7 दिन से वे लगातार चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले तो आंखों में आंसू आ जाते थे, लेकिन अब आंसू भी सूख चुके हैं. खासकर राजस्थान में फंसे मजदूरों की हाल-फिलहाल सिर्फ एक ही शिकायत है कि जैसे सभी प्रदेशों की सरकारें कोटा से छात्रों को बुलवा रही हैं. वैसे ही हम मजदूरों की भी सरकार सुन ले.

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