चूरू: विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रफीक मंडेलिया ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को 31 जुलाई को एक खत लिखा. यही खत अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता रफीक मंडेलिया ने विधानसभा और लोकसभा क्षेत्र के उन वरिष्ठ अध्यापकों की जिले से अन्यत्र स्थान पर स्थानांतरण की मांग की है जो भाजपा समर्थित है.
मंडेलिया के 'मंत्र' ने मचाया हाहाकार : ट्रांसफर को लेकर शिक्षा मंत्री को लिखा खत हुआ वायरल, भाजपा ने CM को दिलाई 'संस्कृति' की याद
चूरू में राजनीतिक माइलेज लेने के लिए और अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए और उन्हें खुश करने के लिए चूरू के एक कांग्रेस नेता ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा. सोशल मीडिया के इस दौर में वो खत अब आम लोगों की पहुंच में है और लोग उसके निहितार्थ निकालने में जुट गए हैं.
शिक्षा मंत्री को लिखे इस पत्र में कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा समर्थित और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के समर्थित कर्मचारियों का तबादला कर उन्हें जिले से अन्यत्र स्थान पर भेजा जाए और कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं के निजी रिश्तेदारों के स्थानांतरण चूरू विधानसभा क्षेत्र में किए जाए जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. इतना ही नही कांग्रेस नेता ने भाजपा समर्थित और राठौर समर्थित इन वरिष्ठ अध्यापकों की विषय वार सूची भी शिक्षा मंत्री को लिखे पत्र के साथ सलंग्न की थी.
जवाब में राठौड़ ने सीएम को लिखा पत्र:शिक्षा मंत्री को लिखा खत जैसे ही वायरल हुआ तो उप नेता प्रतिपक्ष और चूरू विधायक राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख डाला. लिखा है-राज्य कर्मचारियों का स्थानांतरण प्रशासनिक कार्य से किए जाने का अधिकार राज्य सरकार में निहित है, राज्य कर्मचारियों को राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बांटने की संस्कृति राजस्थान में कभी नहीं रही है और ना ही रिश्तेदारी के आधार पर अधिकारियों, कर्मचारियों का पदस्थापन किए जाने का किसी नियम और कानून में प्रावधान है. कांग्रेस नेता रफीक मंडेलिया द्वारा अधिकारियों, कर्मचारियों में भय बनाने के लिए विभिन्न विभागों के मंत्री गणों को लगातार स्थानांतरण की अभिशंषा कर प्रताड़ित व एपीओ किए जाने के कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है.मंडेलिया की यह प्रवत्ति न केवल उनकी मानसिक संकीर्णता को दर्शाती है बल्कि राज्य अधिकारियों, कर्मचारियों की कार्य क्षमता में कमी व मनोबल को तोड़ने का भी काम कर रही है. मंडेलिया व उनका परिवार लगातार चार चुनाव दो लोकसभा व दो विधानसभा चुनाव अपनी इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण हार चुके हैं.