चूरू. जिले के राणासर गांव के राकेश जांगिड़ सऊदी अरब से 9 महीने पहले ही अपने गांव लौटे हैं. पेशे से ड्राइवर राकेश सऊदी अरब पैसा कमाने के लिए घर छोड़कर गए थे. लेकिन वहां गाड़ी मालिक की गलती से 4 साल जेल में रहकर और करीब 52 लाख का जुर्माना भरकर अपने गांव आया है. दरअसल, राकेश की वतन वापसी और इतनी बड़ी रकम चुकाने के पीछे समाज और सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही है.
सऊदी अरब की जेल में वर्षों से बंद शेखावाटी के युवाओं के लिए फरिश्ते से कम नहीं आपणी पाठशाला राकेश के घर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक कमरे के छोटे से मकान में रहने वाले राकेश ने इतना जुर्माना कहां से चुकाया होगा. लेकिन राकेश के इस जुर्माने को चुकाने के पीछे समाज और सोशल मीडिया की ताकत थी. इस नामुमकिन काम को मुमकिन करने की शुरुआत चूरू में झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही आपणी पाठशाला के पुलिस कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ ने की. आपणी पाठशाला के धर्मवीर सोशल मीडिया के जरिये अब तक चूरू और नागौर जिले के चार युवाओं की जुर्माना राशि चुकाने में मदद कर चुके है. जो कि 5 से 7 साल तक सऊदी अरब की जेलों में बंद रहे हैं.
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ऐसे धोखा खा जाते हैं भारतीय ड्राइवर
राकेश जांगिड़ की मानें तो सऊदी अरब में भारतीय ड्राइवरों को जो गाड़ियां चलाने के लिए दी जाती है. उनके इंश्योरेंस एवं दूसरे कागजात कंप्लीट नहीं होते. ड्राइवर चाह कर भी मालिक से कागजात नहीं मांग सकते और ऐसी ही गाड़ियों से एक्सीडेंट होने पर गलती ड्राइवर की बता दी जाती है. एक्सीडेंट में किसी की मौत होने पर ड्राइवर पर 50 से 80 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा दिया जाता है. जुर्माना नहीं चुकाने पर जेल भेजा जाता है. जहां से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है और वह है जुर्माना भरना.
आपणी पाठशाला, सोशल मीडिया के जरिए इन चारों की कर चुकी है मदद
आपणी पाठशाला के धर्मवीर जाखड़ व उनकी टीम अब तक सोशल मीडिया के जरिए चूरू व नागौर के चार युवाओं की मदद कर चुके हैं. सोशल मीडिया पर धर्मवीर जाखड़ की ओर से जुर्माना राशि भरने की शुरुआती अपील का ही असर है कि यह युवा जुर्माना राशि चुका सकें. इनमें से चूरू के राणासर के राकेश जांगिड़, ढाणी डीएस पुरा के जयसिंह, नागौर के लोरोली के प्रेमाराम व नागौर के ही रताऊ गांव के गोविंद भाकर की भी मदद कर चुके है. इनमें से राकेश जयसिंह और प्रेमाराम जहां घर लौट चुके हैं, तो वही गोविंद भाकर की जुर्माना राशि भी जमा करा दी गई है.
राकेश जांगिड़ ने सुनाई आपबीती
राकेश जांगिड़ बताते है कि घर की माली हालत को ठीक करने के लिए सऊदी अरब में ड्राइवर की नौकरी करने गया था. वहां पर एक्सीडेंट में किसी की मौत होने की वजह से उसको जेल में डाल दिया गया और करीब 52 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया गया. जबकि उस गाड़ी के कागजात कंप्लीट नहीं थे. ऐसे में गलती गाड़ी के मालिक की ही थी. सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली सोशल मीडिया के जरिए 52 लाख की जुर्माना राशि जुटाई गई. इसमें सोशल मीडिया पर मुहिम की शुरुआत करने का सबसे बड़ा योगदान चूरू की आपणी पाठशाला का है.
वहीं राकेश जांगिड़ की मां कहती है कि सऊदी अरब में गाड़ी मालिक की गलती की वजह से मेरे बेटे को जेल में रखा गया. सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली. सोशल मीडिया पर हमारे परिवार की स्थिति देखकर दोस्तों, रिश्तेदारों और जानकारों ने जुर्माना राशि का चंदा इकट्ठा कर चुकाया.
भारत लौट नागौर के शख्स ने सुनाई अपनी दास्तां
वहीं नागौर के प्रेमाराम लोरोली ने बताया कि सऊदी अरब में गाड़ी चलाने के दौरान एक व्यक्ति की एक्सीडेंट में मौत हो गई. ऐसे में उसपर करीब 80 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. जिसके बाद उन्होंने एक्सीडेंट में मारे गए व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से लगातार बातचीत की तो जुर्माना घटाकर 22 लाख कर दिया गया. उनका कहना है कि आपणी पाठशाला और दोस्तों के सहयोग से सोशल मीडिया के जरिए जुर्माना राशि चुकाई गई. आज वो अपने बच्चों के बीच में बेहद खुश हैं.
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क्या है आपणी पाठशाला. जिसने कराई अपनों की वतन वापसी
आपणी पाठशाला चूरू झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने का काम करती है. इसके साथ ही समय-समय पर ऐसे लोगों की सहायता भी करते है जो असहाय है. इसी दौरान सोशल मीडिया के जरिए विदेश में फंसे राणासर के राकेश जांगिड़ के बारे में जानकारी मिली. सोशल मीडिया के जरिए उसकी मदद की गई. उसके बाद में जब लोगों को इस संस्था के बारे में जानकारी मिली तो नागौर से भी सऊदी अरब में फंसे दो युवकों के परिवार की जुर्माना राशि सोशल मीडिया के जरिए एकत्रित करने की अपील की गई. इसी तरह चूरू के ही ढाणी डीएस पुरा के जयसिंह की भी इस प्रकार के मामले में 60 लाख रुपये की सहायता राशि एकत्र कर मदद की गई. नागौर जिले के गोविंद भाकर के लिए भी इसी तरह सोशल मीडिया पर अपील की गई.