चूरू.कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 81 साल पुराने चूरू रेलवे स्टेशन से पिछले 56 दिन से सवारी ट्रेनों का संचालन बंद है.आम दिनों में चूरू रेलवे स्टेशन से 52 ट्रेनों का संचालन होता था. इनमें से 30 डेली ट्रेन थी तो 22 साप्ताहिक ट्रेनों का ठहराव था. चूरू रेलवे स्टेशन से रोज हजारों यात्री सफर करते थे. चूरू में साल 1939 में पहली बार ट्रेन आयी थी. चूरू में ट्रेन बीकानेर महाराजा गंगासिंह की देन है. रेलवे स्टेशन पर बने मुसाफिर खाने का निर्माण तब सेठ तोलाराम परिवार ने करवाया था.
चूरू रेलवे स्टेशन पर 56 दिन से ट्रेनों का संचालन बंद चूरू से बड़े शहरों के लिए ट्रेनचूरू रेलवे स्टेशन से कोलकाता,कोयम्बटूर, दिल्ली, जोधपुर, बीकानेर, बिलासपुर व हिसार सहित देश के विभिन्न राज्यों के लिए ट्रेन की सुविधा है. इसी तरह चूरू से सीकर व बीकानेर के लिए रोज ट्रैन की सुविधा है. पढ़ेंः चूरूः बाहर से आए प्रवासियों की सुध नहीं ले रहा पंचायत, घर से मंगवा कर खा रहे खाना
रेलवे स्टेशन से रौनक गायब
कोविड 19 के संक्रमण चलते रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की चहल पहल से रहने वाली रौनक गायब है. बुकिंग खिड़कियां सूनी है. स्टेशन के बाहर भी ना ऑटो रिक्शा की रेलमपेल है ना ही होटल्स और रेस्टोरेंट पर भीड़ है. यह सभी कोविड 19 संक्रमण के कारण बंद है. रेलवे कार्मिक भी वही आ रहे है जिनकी जरूरत है.
स्टेशन से कई ट्रेनों का होता था संचालन
चूरू के वरिष्ठ साहित्यकार भंवर सिंह सामौर बताते है कि चूरू में रेल लाइन आज से 81 साल पहले1939 में आई थी. यहां पर रेल लाइन बीकानेर महाराजा गंगा सिंह की देन है. स्टेशन का निर्माण तोलाराम कोठारी परिवार ने करवाया था. महाराजा गंगा सिंह चूरू को रेल लाइन से सीधे कराची तक जोड़ना चाहते थे, लेकिन बीच में जैसलमेर के महारावल ने जमीन नहीं दी. महाराजा गंगा सिंह ने जमीन के जितनी दूरी के ही चांदी के सिक्कें देने की शर्त भी रखी थी, लेकिन जैसलमेर महारावल ने शर्त नहीं मानी. इस कारण चूरू रेल सेवा से जोधपुर तक ही जुड़ सका. बता दें कि चूरू रेलवे स्टेशन से रोज 30 डेली व 22 वीकली सवारी ट्रेनों का संचालन होता है. कोविड 19 संक्रमण के कारण 22 मार्च से ट्रेनों का संचालन बंद है, लेकिन अभी गुड्स ट्रेन चल रही है.