चित्तौड़गढ़.विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग गत 6 जुलाई को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था. इसके चलते बाहरी और स्थानीय पर्यटक दुर्ग पर घूमने और पर्यटन के लिए आना शुरू हो गए हैं. ऑनलाइन टिकट बुकिंग इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बन कर उभर रही है. यहां ऑनलाइन टिकट बुकिंग का फॉर्मेट कठिन है तो वहीं मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण टिकट की बुकिंग नहीं हो पा रही है. ऐसे में एक-दो घंटे खड़े रहने के बाद पर्यटक निराश लौट जाते हैं.
जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते करीब 4 माह तक दुर्ग बंद रहा था. वहीं, पुरातत्व विभाग ने सशर्त ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया था. ऐसे में गत 6 जुलाई से चितौड़गढ़ दुर्ग पर्यटकों के लिए खोल दिया गया. पुरातत्व विभाग के मुख्यालय से ऑनलाइन टिकट बुकिंग का आदेश दिया. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों को भी यहां टिकट विंडों के यहां खड़े रह कर ऑनलाइन टिकट बूक करना अनिवार्य हो गया है, जो परेशानी का सबब है.
जानकारी के मुताबिक चितौड़ दुर्ग पर प्रतिदिन 150 से 200 पर्यटक चित्तौड़ दुर्ग का टिकट खरीद कर घूमने का आनंद ले पा रहे हैं. लेकिन यह आंकड़ा यहां आने वाले कुल पर्यटकों का 25 प्रतिशत ही है. टिकट विंडो पर तैनात स्टाफ की मानें तो केवल ग 25 प्रतिशत पर्यटक ही ऑनलाइन टिकट बुक करा पाते हैं. इसका मुख्य कारण ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एप्लीकेशन का जटिल फॉर्मेट और कमजोर नेटवर्क के कारण इंटरनेट की गति बताया जा रहा है. इस कारण आधे से ज्यादा पर्यटक ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर पाते हैं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है.
जानकारी में सामने आया कि चितौड़ दुर्ग पहाड़ी पर स्थित है. वहीं, सभी मोबाइल नेटवर्क के टॉवर शहर में हैं. ऐसे में चितौड़ दुर्ग पर किसी भी कम्पनी के नेटवर्क नहीं आते. इससे यहां आने वाले पर्यटक टिकट बूक नहीं कर पा रहे हैं. जबकि, चित्तौड़ दुर्ग की लोकप्रियता को देखते हुए एएसआई की ओर से पुख्ता इंतजामात ऑनलाइन टिकटींग को लेकर होने चाहिए थे, किंतु ऐसा दिखाई नहीं पड़ रहा है.