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कपासन में धूल फांक रही धरोहर...15वीं सदी से जुड़े कई अवशेषों का अस्तित्व खतरे में - Items of archaeologica

कपासन में विरासत काल से ही खालसा रहा है. यहां की शीतला खेड़ा, नागोळा, हाडोळा, सोवनी मुला, भुवान्याखेड़ी सहित 16 खेड़ों से मिल कर कपासन नगर का विकास हुआ है. रियासत काल में कुछ ऐसे शिला लेख नगर के प्रमुख स्थान डाणी चबुतरा की दीवार पर लगे हैं, जिस पर रोज नालियों का गंदा पानी बह रहा है. लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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धूल फांक रही धरोहर

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Published : Aug 28, 2020, 5:12 PM IST

कपासन (चित्तौड़गढ़).जिले केकपासन नगरपालिका क्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहर की उपेक्षा की जा रही है. धुल फांक रही पुरातात्विक धरोहर, महत्वपूर्ण शिलालेख को नाली के पास लगाने से उन पर उकेरी लिपी और आकृतियों के क्षरण का खतरा बढ़ गया है. इस पर ना तो जिला प्रशासन ध्यान दे रहा ना ही स्थानीय प्रशासन.

शिलालेखों को भीगना पड़ता है नालियों के पानी से

जानकारी के अनुसार बोरवाडी गली में कस्बा पुलिस चौकी की दीवार पर एक बड़े पत्थर पर सूर्य, चन्द्रमा और एक गाय जिसका बछड़ा दूध पी रहा है, ऐसे कुछ और भी चित्र अंकित हैं. इसी प्रकार कोने पर लगे पत्थर पर एक नाग की आकृति उकेरी हुई है और नीचे जय एकलिंग नाथ लिखा हुआ है. इसी के पास दो पत्थरों पर भी प्राचीन भाषा में कुछ लिखा हुआ है. वहीं, शक्ति पीठ मुला माता में भी 15वीं सदी के कई अवशेष सहित मकान और मन्दिरों के अवशेष मिले हैं.

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मिट्टी की बड़ी ईटों से बनी दीवारें, पुरातात्वीक महत्व की वस्तुओं का रख रखाव नहीं हो रहा है. पुरातात्विक धरोहर संरक्षण को बचाने के लिए और संरक्षित करने के लिए मुला माता मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सत्यनारायण आर्चाय ने कई बार उच्च अधिकरियों को पत्र लिख कर अवगत करवाया है. उदयपुर से एक बार पुरातात्विक विशेषज्ञ भी यहां आए थे, लेकिन इसके बाद किसी ने इनकी सुध नहीं ली.

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