बूंदी. छोटी काशी बूंदी के ऐतिहासिक दरवाजे इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहाते जा रहे हैं. करीब शहर में 1 दर्जन से अधिक दरवाजे ऐतिहासिक दरवाजे हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और कुछ दरवाजे तो ऐसे हैं जो हादसों को न्योता दे रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन दरवाजों की देखरेख करने वाला पर्यटन विभाग बजट के अभाव में इन दरवाजों की देखरेख नहीं कर पा रहा है और यह दरवाजे अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं.
बूंदी के ऐतिहासिक दरवाजों की बुरी दुर्दशा
बूंदी शहर में 1 दर्जन से अधिक दरवाजे बने हुए हैं. जो शहर के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहर के रुप में शौर्य का बखान करता हैं. राजाओं के वक्त में यहां पर सैनिकों का पहरा लगता था और इन दरवाजों के बाहर जंगल हुआ करता था. इन दरवाजों के अंदर शहर की की प्रजा रहती थी. इन दरवाजों पर सैनिक लोगों की आवाजाही पर निगरानी रखते थे और रात होने पर सैनिक आवाज लगाते थे और अपनी प्रजा को वापस दरवाजे से अंदर लेकर इन दरवाजों को बंद कर देते थे. यह दरवाजे पहरे के रूप में सैनिकों के साथ-साथ बूंदी की रक्षा भी करते थे. लेकिन इन दरवाजों की कहानी अब इतिहास के पन्नों में खत्म होती जा रही है. क्योंकि रक्षा में काम आने वाले ये दरवाजे अब बदहाली की कगार पर पहुंच चुके हैं. दरवाजों पर आज अतिक्रमण हो चुका है. जगह-जगह से यह दरवाजे अपने अस्तित्व को खो चुके हैं और जर्जर हालत में हो चुके हैं. इन दरवाजों के अंदर से कई रास्ते बूंदी शहर के अंदर जाते हैं लेकिन इन दरवाजों की देखरेख बूंदी का पर्यटन विभाग नहीं कर पा रहा है. नतीजा यह दरवाजे कभी भी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं और यह दरवाजे कभी भी गिर सकते हैं और हमेशा इन दरवाजों पर हादसों का खतरा मंडराता रहता है.
उजड़ता जा रहा दरवाजों का अस्तित्व
बूंदी शहर में हर इलाके में एक-एक दरवाजा बना हुआ है, जो अपने शौर्य के रूप में जाना जाता है. शहर का लंका गेट, खोजा गेट, चौगान गेट, भैरव दरवाजा, मीरा गेट सहित कई ऐसे दरवाजे हैं जिन में आमजन की आवाजाही लगी रहती है. इन दरवाजों पर किसी समय रंग रोगन चित्रकारी व बड़े-बड़े लकड़ी के विशाल गेट लगे होते थे. लेकिन, इन दरवाजों से धीरे-धीरे चित्रकारी गायब होने लगी, लकड़ी के बड़े दरवाजे गायब होने लगे. नतीजा यह रहा कि अब यह गेट मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं. केवल दरवाजे हैं और इनका अस्तित्व खत्म हो चुका है ना इनमें चित्रकारी बची है और ना ही इनमें कोई लकड़ी के दरवाजे.
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