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स्पेशल: बूंदी में बंद होगा काढ़ा पिलाने का सिलसिला, प्रशासनिक उदासीनता बनी बड़ी वजह - कोरोना काल में काढ़े से फायदा

कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने वाला काढ़ा अब बूंदी जिले में लोगों की नहीं बांटा जाएगा. प्रशासनिक सपोर्ट नहीं मिलने के चलते आयुर्वेदिक काढ़े को बूंदी में बंद करने का निर्णय लिया गया है. इस निर्णय के साथ आमजन में निराशा देखी गई है. जबकि कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार काढ़ा सर्वाधिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला साबित हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

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औषधियों से निर्मत काढ़े पर अर्थिक संकट की मार

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Published : Sep 10, 2020, 12:29 PM IST

बूंदी.कोरोना वायरस से लड़ने में आयुर्वेद एक विश्वसनीय उपाय की तरह सामने आया है. अश्वगंधा के उपयोग के लिए क्लीनिकल ट्रायल, साथ ही गुडूची और यष्टिमधु जैसी औषधियों पर लगातार शोध हो रहे हैं. आयुर्वेद में ऐसे कई शक्तिशाली औषधियां और सप्लीमेंट हैं, जिन्हें एंटी-वायरल गुणों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए कुछ औषधियों को मिलाकर बूंदी में काढ़ा बनाया जाता है, जो आम से खास सभी लोगों को बांटा जा रहा था. लेकिन जो चिकित्सालय काढ़ा बनाने का काम करता है, उसे अब आर्थिक मदद की दरकार है. प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब काढ़ा पिलाने की मुहिम को बंद किया जा रहा है.

औषधियों से निर्मित काढ़े पर अर्थिक संकट की मार...

प्रशासन से नहीं मिली आर्थिक मदद...

कोरोना काल में लोगों को काढ़ा पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जिला आयुर्वेद चिकित्सालय को सरकार की ओर से किसी भी तरह की वित्तीय सहायता नहीं मिली है. ऐसे में यह अस्पताल अब लोगों को औषधीय काढ़ा नहीं पिलाएगा. करीब 180 दिनों तक लोगों को काढ़ा पिला चुके चिकित्साकर्मियों ने अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. चिकित्सकों ने इस समस्या से स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को समय-समय पर पत्र भी लिखा है. बावजूद इसके प्रशासनिक अमले पर कोई असर नहीं हो पा रहा है.

180 दिनों से पिलाया जा रहा था काढ़ा...

जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. सुनील कुशवाहा बताते हैं कि 180 दिनों से लगातार अस्पताल परिसर में चल रहे काढ़ा वितरण को अब मजबूरी में बंद करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में मार्च माह से शुरू काढ़ा वितरण का कार्य आज तक किया जा रहा था, लेकिन अब इसे बंद किया जा रहा है.

जेलों में कैदियों और स्टाफ के लिए भी ले जाया जाता था काढ़ा...

उन्होंने बताया कि सैकड़ों लोग काढ़े का सेवन कर रहे हैं. यहां तक की कोविड सेंटर के साथ-साथ अन्य विभागों में भी काढ़ा बांटा जा रहा है. अब तक करीब 1 लाख से ज्यादा लोग आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित काढ़े का सेवन कर चुके हैं. वहीं, 11 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित, होम क्वॉरेंटाइन और हाई रिस्क समूह के लोगों को इम्युनिटी किट भी बांटे जा चुके हैं. साथ ही 14 सौ से अधिक हाई रिस्क समूह के लोगों को विशेष आयुर्वेदिक औषधियां देकर स्वस्थ रखा जा रहा है.

सकारात्मक परिणाम आए सामने...

कुशवाह ने बताया कि सरकारी कार्यालयों, जिला कार्यालय, बैंकों के भी केयर सेंटरों में रोगियों और स्टाफ समेत रोज लगभग 1 हजार व्यक्तियों को काढ़ा पिलाने का काम किया जा रहा है. आयुष मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार किए जा रहे अध्ययन में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इस कार्य में ना तो राज्य सरकार और ना ही स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई वित्तीय सहायता मिली है.

7 सितंबर से काढ़ा पिलाने का काम बंद...

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उन्होंने कहा कि लोगों के जन सहयोग से ही अब तक काढ़ा वितरण के साथ-साथ अन्य कार्य किया जा रहा था, लेकिन अब यह करना संभव नहीं लग रहा है. उन्होंने कहा कि वह इस बात को जरूर मान रहे हैं कि अस्पताल में काढ़ा वितरण को बंद करने के निर्णय से काफी लोग निराश हैं, लेकिन आर्थिक परेशानी के चलते और सरकार और स्थानीय प्रशासन से किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिलने से हमें मजबूरीवश काढ़ा वितरण को बंद करना पड़ रहा है.

38 जड़ी बूटियों युक्त काढ़ा...

बूंदी जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में 12 मार्च से काढ़ा पिलाने की शुरुआत अस्पताल प्रशासन द्वारा की गई थी. अब तक करीब 1 लाख से अधिक लोगों को इस काढ़े को पिलाया जा चुका है. इसमें 38 जड़ी बूटियां का मिश्रण किया गया है. जो लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है.

राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय ने शुरू की थी पहल...

इस काढ़े में नीम, गिलोय, अडूसा, कटेहरी, सोंठ सहित 38 प्रकार की जड़ी बूटियां मिलाई जाती है. इसके बाद इसे घंटों तक पकाया जाता है. इस काढ़े को पीने के लिए दूर-दूर से लोग आयुर्वेदिक अस्पताल पहुंचते हैं. इतना ही नहीं काढ़े को बर्तनों में भरकर लोग अपने परिवारवालों के लिए भी ले जाते हैं. खास बात यह है कि लोग अब तक बीमारियों के लिए ऐलोपैथिक दवाइयों पर निर्भर थे, लेकिन जब से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा है. लोगों ने आयुर्वेदिक काढ़ा पीना शुरू कर दिया है.

काढ़े से कोरोना के 60 मरीजों को स्वस्थ करने का दावा...

देश में लगातार कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में जब तक कोरोना संक्रमण की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती, जब तक संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सकता. लेकिन बूंदी आयुर्वेदिक विभाग द्वारा चलाई गई सराहनीय मुहिम उस समय रंग लाने लगी, जब कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीज रोग प्रतिरोधक काढ़ा पीकर ठीक होने लगे.

38 जड़ी बूटियों से बना आर्येुवेदिक काढ़ा...

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धान मंडी रोड स्थित किसान भवन को बूंदी प्रशासन द्वारा कोविड केयर सेंटर बनाया गया था. ऐसे में बूंदी आयुर्वेदिक विभाग ने वहां भर्ती मरीजों को काढ़ा पिलाने की शुरुआत की तो उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगी और मरीज रिकवर होने लगे. अब तक करीब 60 मरीज काढ़ा पीकर ठीक हो चुके हैं.

लोगों ने आयुर्वेदिक काढ़े को बंद करने का जताया विरोध...

जैसे ही आयुर्वेदिक विभाग द्वारा 7 सितंबर से काढ़ा बंद करने की मुनादी की गई, तब से शहर की जनता ने काढ़ा बंद करने को लेकर विरोध जताया है. नियमित रूप से रोज सैकड़ों लोग काढ़ा पीने के लिए आयुर्वेदिक अस्पताल में पहुंचते हैं और काढ़ा पीते हैं.

लोगों ने कहा है कि सरकार व प्रशासन ध्यान दें और आयुर्वेदिक विभाग के इस सराहनीय कार्य को जारी रखें, ताकि आयुर्वेदिक काढ़ा बंद नहीं हो. रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव अशोक विजय ने कहा कि काढ़े से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और कई मरीज तो रिकवर भी हुए हैं, फिर भी बंद करने का निर्णय लिया गया है, वह गलत है. प्रशासन को इस मामले में आगे आकर काढ़ा के वितरण को जारी रखने का आदेश देना चाहिए.

कैदियों को हुआ बड़ा फायदा...

बूंदी जेल के लिए रोज काढ़ा लेने के लिए पहुंच रहे पुलिस पहरी राधे कृष्ण का कहना है कि हम रोज इसी तरह बूंदी जेल के कैदियों के लिए काढ़ा लेने के लिए आ रहे हैं और उन्हें काढ़ा पिलाते हैं. हमने भी इस काढ़ा पीने के साथ अनुभव को जाना है, तो उसमें पता लगा कि कैदियों की काढ़ा पीने के साथ उनकी एनर्जी बढ़ गई है और कैदी स्वस्थ होने लगे हैं.

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