बूंदी.कोरोना वायरस से लड़ने में आयुर्वेद एक विश्वसनीय उपाय की तरह सामने आया है. अश्वगंधा के उपयोग के लिए क्लीनिकल ट्रायल, साथ ही गुडूची और यष्टिमधु जैसी औषधियों पर लगातार शोध हो रहे हैं. आयुर्वेद में ऐसे कई शक्तिशाली औषधियां और सप्लीमेंट हैं, जिन्हें एंटी-वायरल गुणों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए कुछ औषधियों को मिलाकर बूंदी में काढ़ा बनाया जाता है, जो आम से खास सभी लोगों को बांटा जा रहा था. लेकिन जो चिकित्सालय काढ़ा बनाने का काम करता है, उसे अब आर्थिक मदद की दरकार है. प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब काढ़ा पिलाने की मुहिम को बंद किया जा रहा है.
प्रशासन से नहीं मिली आर्थिक मदद...
कोरोना काल में लोगों को काढ़ा पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जिला आयुर्वेद चिकित्सालय को सरकार की ओर से किसी भी तरह की वित्तीय सहायता नहीं मिली है. ऐसे में यह अस्पताल अब लोगों को औषधीय काढ़ा नहीं पिलाएगा. करीब 180 दिनों तक लोगों को काढ़ा पिला चुके चिकित्साकर्मियों ने अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं. चिकित्सकों ने इस समस्या से स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को समय-समय पर पत्र भी लिखा है. बावजूद इसके प्रशासनिक अमले पर कोई असर नहीं हो पा रहा है.
180 दिनों से पिलाया जा रहा था काढ़ा...
जिला आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. सुनील कुशवाहा बताते हैं कि 180 दिनों से लगातार अस्पताल परिसर में चल रहे काढ़ा वितरण को अब मजबूरी में बंद करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में मार्च माह से शुरू काढ़ा वितरण का कार्य आज तक किया जा रहा था, लेकिन अब इसे बंद किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि सैकड़ों लोग काढ़े का सेवन कर रहे हैं. यहां तक की कोविड सेंटर के साथ-साथ अन्य विभागों में भी काढ़ा बांटा जा रहा है. अब तक करीब 1 लाख से ज्यादा लोग आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित काढ़े का सेवन कर चुके हैं. वहीं, 11 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित, होम क्वॉरेंटाइन और हाई रिस्क समूह के लोगों को इम्युनिटी किट भी बांटे जा चुके हैं. साथ ही 14 सौ से अधिक हाई रिस्क समूह के लोगों को विशेष आयुर्वेदिक औषधियां देकर स्वस्थ रखा जा रहा है.
सकारात्मक परिणाम आए सामने...
कुशवाह ने बताया कि सरकारी कार्यालयों, जिला कार्यालय, बैंकों के भी केयर सेंटरों में रोगियों और स्टाफ समेत रोज लगभग 1 हजार व्यक्तियों को काढ़ा पिलाने का काम किया जा रहा है. आयुष मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार किए जा रहे अध्ययन में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इस कार्य में ना तो राज्य सरकार और ना ही स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई वित्तीय सहायता मिली है.
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उन्होंने कहा कि लोगों के जन सहयोग से ही अब तक काढ़ा वितरण के साथ-साथ अन्य कार्य किया जा रहा था, लेकिन अब यह करना संभव नहीं लग रहा है. उन्होंने कहा कि वह इस बात को जरूर मान रहे हैं कि अस्पताल में काढ़ा वितरण को बंद करने के निर्णय से काफी लोग निराश हैं, लेकिन आर्थिक परेशानी के चलते और सरकार और स्थानीय प्रशासन से किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिलने से हमें मजबूरीवश काढ़ा वितरण को बंद करना पड़ रहा है.
38 जड़ी बूटियों युक्त काढ़ा...