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बागियों को साधने में जुटी भाजपा...कांग्रेस पीछे

लोकसभा चुनाव की दुदुंभी बज चुकी है. ऐसे में दोनों ही पार्टिया, भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. साथ ही प्रत्याशियों की लिस्ट भी करीब करीब जारी हो गई है. लेकिन, इस बार भी विरोध दोनों ही पार्टियों में विरोध के सुर नजर आने लगे हैं.

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Published : Apr 1, 2019, 11:54 PM IST

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बीकानेर. लोकसभा चुनाव की दुदुंभी बज चुकी है. ऐसे में दोनों ही पार्टिया, भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. साथ ही प्रत्याशियों की लिस्ट भी करीब करीब जारी हो गई है. लेकिन, इस बार भी विरोध दोनों ही पार्टियों में विरोध के सुर नजर आने लगे हैं.

अगर बात बागियों की करें तो विधानसभा चुनाव में पार्टियों के बागी मैदान में नजर आए थे. हालांकि, लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों ही पार्टियों में बागी प्रत्याशी खड़े होने जैसी कोई बगावत नजर नहीं आ रही है. लेकिन, दोनों ही पार्टियों में विरोध के स्वर टिकट वितरण को लेकर नजर आ रहे हैं.

बागियों को साधने में जुटी भाजपा

वहीं, बीकानेर लोकसभा चुनाव की बात करें तो जिले की सात और श्रीगंगानगर की अनूपगढ़ विधानसभा बीकानेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. हालांकि, विधानसभा चुनाव में आठ सीटों में से भाजपा के दो विधायक टिकट कटने से बागी हुए थे. जिसमें से अनूपगढ़ से शिमला बावरी और श्रीडूंगरगढ़ में किसनाराम नाई के साथ ही लूणकरणसर में प्रभुदयाल सारस्वत, नोखा में मेघसिंह और श्रीकोलायत में सुरेश विश्नोई प्रमुख रहे.

वहीं, कांग्रेस में बीकानेर पूर्व और पश्चिम से गोपाल गहलोत, नोखा में उपजिला प्रमुख इंदु तरड़, दलित नेता मगनाराम केडली, खाजूवाला में पूर्व एसडीएम मिट्ठू सिंह नायक बागी हुए. हालांकि, इन बागियों में अभी तक दोनों ही पार्टियों में किसी ने घर वापसी नहीं की है. लेकिन, अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए आने वाले दिनों में कई नेताओं की घर वापसी हो सकती है.

वोट काटे पर, परिणाम पर असर नहीं
दरअसल, नोखा विधानसभा क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो सातों विधानसभा में किसी भी बागी ने अपनी पार्टी को चुनाव परिणाम के लिहाज से नुकसान नहीं पहुंचाया. हालांकि, वोट जरूर उन्होंने पार्टी के खाते से कम किए. नोखा में हार-जीत का अंतर साढ़े आठ हजार वोट रहा. उपजिला प्रमुख इंदु तरड़ और दलित नेता मगनाराम केडली के वोट 12000 के करीब रहे. ऐसे में यहां चुनाव परिणाम बदल सकता था.

भाजपा भारी
संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक पर माकपा का कब्जा है. ऐसे में वोटों के लिहाज से फिलहाल भाजपा भारी पड़ती नजर आ रही है. वहीं, एक विधानसभा सीट पर कब्जा करने वाली माकपा ने श्योपतराम को मैदान में उतारा है और कुछ करने को लेकर माकपा भी लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है.

ऐसे में अब फिलहाल विधानसभा के बागियों का असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा यह कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि, कांग्रेस जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत कहते हैं कि चुनाव के दौरान दावेदार टिकट नहीं मिलने पर खुद की जीतने की परिस्थितियों को देखकर बागी हो जाते हैं. लेकिन, अब ऐसे बागियों की जल्द वापसी करवाने के प्रयास किये जाएंगे.

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