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बीकानेर में किसान मानसून से पहले फर्टिलाइजर्स सहित सभी उपकरणों के साथ बुआई के लिए तैयार

मानसून सीजन आते ही किसान खेतों को सहेजने लग गए हैं और खरीफ की फसल को साथ-साथ मूंगफली और कपास की बुआई का काम भी शुरू करने की तैयारी में है, लेकिन इस बार बीकानेर में मानसून अभी तक नहीं आया है जिसके चलते किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं.

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Published : Jul 22, 2019, 11:23 AM IST

मानसून से पहले किसानों की तैयारियां पूरी, फर्टिलाइजर्स सहित सभी उपकरणों के साथ बुआई के लिए हैं तैयार

बीकानेर.जिले में मानसून के आने से पहले ही किसानों ने अपनी कमर कस ली है. हर बार की सरह फर्टिलाइजरर्स की कमी जैसी कोई बात सामने नहीं आई है. किसानों के पास भरपूर मात्रा में फर्टिलाइजर्स उपलब्ध हैं या नहीं या जानान महत्वपूर्ण है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीकानेर में फर्टिलाइजरर्स के उपलब्धी के बारे में जानाने के लिए, ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रिपोर्ट में पाया कि फिलहाल खरीफ की फसल में फर्टिलाइजर यूरिया और डीएपी की कोई कमी नहीं है, और खुद किसान भी इससे संतुष्ट है.

मानसून से पहले किसानों की तैयारियां पूरी, फर्टिलाइजर्स सहित सभी उपकरणों के साथ बुआई के लिए हैं तैयार


हालांकि, बात ये भी है कि अभी तक मानसून नहीं आने से खेतों में बुआई का काम नहीं शुरु हो पाया है और किसानों ने भी पूरी तरह से फर्टिलाइजर की खरीद नहीं की है लेकिन बावजूद इसके कई किसान कहते हैं कि हमने अपनी तैयारी कर ली है और उसी के अनुसार बीजों के साथ ही यूरिया और डीएपी का भी स्टॉक कर लिया है. बीकानेर के नोखा के रहने वाले किसान जगदीश भांभू कहते हैं कि अभी तक यूरिया और डीएपी की कोई किल्लत नहीं है और बस बारिश का इंतजार है और जितने क्षेत्र में में खेती करनी है उसके अनुसार हमने अपना पूरा स्टॉक जमा कर लिया है.


बीकानेर में निजी और सरकारी स्तर पर फर्टिलाइजर यूरिया और डीएपी की कुल खपत 27,100 मीट्रिक टन दर्ज की गई है .और इसके अनुपात में अब तक साढ़े आठ हजार मैट्रिक टन यूरिया डीएपी बीकानेर को प्राप्त हो चुका है .कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आने वाले वक्त में भी फ़र्टिलाइज़र्स की कोई कमी नहीं रहेगी और 5 से 7 दिन के अंतराल में स्टॉक जमा हो जाएगा .कृषि विभाग के संयुक्त र्निदेशक जगदीश चंद्र पूनिया कहते हैं कि बीकानेर में कुल 27,100 मीट्रिक टन के मुकाबले साढे़ आठ हजार मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हो चुका है .और आने वाले दिनों में और स्टॉक होने के बाद इसकी कमी नहीं रहेगी .


फिलहाल, किसान भी इसकी खरीदी कर रहे हैं. पुनिया चाहते हैं कि खरीफ की फसल में मूंगफली और कपास में इसकी खपत ज्यादा होती है और बारिश समय पर हो तो बाजरे की बुआई के दौरान यूरिया की खपत होती है. खुद पूनिया भी स्वीकार करते हैं कि रबी की फसल के दौरान बीकानेर में यूरिया की किल्लत ज्यादा होती है ,क्योंकि उस वक्त यूरिया की खपत 5 से 6 गुना बढ़ जाती है.


कुल मिलाकर अभी तक बारिश पूरी तरह से नहीं हुई है ऐसे में कृषि विभाग भी पूरी तरह से आश्वस्त है तो वहीं किसानों को भी बारिश से पहले किसी तरह की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ रहा है .आब बारिश के बाद बुआई के लिए अचानक बढ़ी मांग के बाद यूरिया और डीएवीपी की किल्लत हो तो मना नहीं किया जा सकता लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि तब तक उनके पास पूरा स्टॉक उपलब्ध हो जाएगा.

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