बीकानेर. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और शैक्षणिक कार्मिकों के पदों की विद्यालयवार आवंटन की प्रक्रिया स्टाफिंग पैटर्न (Rajasthan staffing pattern)को लेकर कवायद शुरू हो गई है. इसको लेकर प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने मंगलवार को आदेश जारी किए हैं. विभाग ने प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों संयुक्त निदेशक उपनिदेशक को परिपत्र भेजा है. जारी आदेशों के मुताबिक 2 साल पहले हुए स्टाफिंग पैटर्न के आदेश में कुछ संशोधन करते हुए नए सिरे से गाइडलाइन (Rajasthan staffing pattern new guideline) की प्रक्रिया को बनाया गया है. 24 नवंबर से स्टाफिंग पैटर्न की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
जारी आदेशों के मुताबिक स्टाफिंग पैटर्न सत्यापन दल पोर्टल पर ऑनलाइन सत्यापन 24 नवंबर को करेगा. इसके बाद दो दिन तक पूरी प्रक्रिया को शाला दर्पण पोर्टल पर विद्यालयवार लाइव किया जाएगा. इसके बाद एक दिसंबर तक मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से पोर्टल पर पूरी जानकारी को उपलब्ध करवाते हुए स्टाफिंग पैटर्न का सत्यापन कर उसे अपलोड किया जाएगा. उसके बाद विद्यालयवार चार प्रतियों में सूचियां डाउनलोड कर स्टाफिंग पैटर्न के लिए गठित संभाग समिति से अनुमोदन कराया जाएगा.
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इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अधिशेष हुए कार्मिकों की मैपिंग और सूचियों का प्रकाशन 6 से 7 दिसंबर तक किया जाएगा. इसके बाद 8 दिसंबर से 11 दिसंबर तक अधिशेष कार्मिकों की ऑनलाइन काउंसलिंग में मैपिंग की जाएगी. काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिला स्थापना समिति से 14 दिसंबर को इस पूरी प्रक्रिया को अनुमोदन करवाया जाएगा. शिक्षा निदेशक ने स्टाफिंग पैटर्न की ऑनलाइन प्रक्रिया के सत्यापन हेतु 8 सदस्य सत्यापन दल गठित किया है. निदेशालय के संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा इस सत्यापन दल के अध्यक्ष होंगे. वहीं शाला दर्पण अनुभाग के अनुभाग अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया है. सत्यापन दल में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी और उपनिदेशक स्तर के निदेशालय के अधिकारी भी सदस्य होंगे.
क्या है स्टाफिंग पैटर्न
दरअसल, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर शिक्षकों का अनुपात तय किया हुआ है. जिसमें प्राथमिक स्तर पर 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का अनुपात है. वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विषय वार यह अनुपात 35 विद्यार्थियों का होता है. दरअसल सरकारी स्कूलों में हर साल घटते बढ़ते नामांकन के आधार पर स्टाफिंग पैटर्न की जरूरत पड़ती है ताकि स्कूल के मुताबिक वहां जरुर से ज्यादा हुए शिक्षकों को अन्यत्र शिफ्ट किया जा सके. वहीं किसी स्कूल में विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षक की कमी होने पर उच्च विद्यालय में भी उस शिक्षक को लगाया जा सके.