भीलवाड़ा. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत बताने से गुर्जर समाज में काफी आक्रोश है. सवाई भोज के महंत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि तथ्य से छेड़छाड़ से गुर्जर समाज में आक्रोश है. इससे हमें ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि हम जल्द इसमें सुधार के लिए सीएम गहलोत से मुलाकात करेंगे.
गुर्जर समाज के आराध्य देव सवाई भोज मंदिर के बारे में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से विवाद गहरा गया है. वेबसाइट पर आसींद कस्बे के पास स्थित सवाई भोज मंदिर के आराध्य देव देवनारायण को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में भी आक्रोश है. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत समाज का बताने के बाद मंदिर परिषद में बैठक का आयोजन किया गया.
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सवाईभोज मंदिर का इतिहास
मंदिर परिसर में मौजूद गुर्जर समाज के लोगों और तीन बार विधायक रहे रामलाल गुर्जर ने सवाईभोज मंदिर का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि सवाई भोज मंदिर के नाम से यह भारत में प्रमुख मंदिर है. यहां काफी संख्या में श्रद्धालु सावन व भादव माह में भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि बगड़ावत 24 भाई थे. उसमें से सबसे बड़े भाई सवाईभोज थे. सवाईभोज ने भगवान रूपनाथ की तपस्या की थी. जिसके कारण सवाईभोज को रूपनाथ ने आशीर्वाद दिया कि जितना आप दान लोगों को देंगे उससे सवाया आपके पास बढ़ता जाएगा. उन्होंने कहा कि हाल में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर सवाई भोज को राजपूत दर्शाया है जो बिल्कुल गलत है. वह राजपूत नहीं थे, गुर्जर थे. हमारी सरकार से मांग है कि वेबसाइट में सुधार करें और राजपूत की जगह गुर्जर शब्द लिखें.
सवाई भोज को राजपूत बताना गलता
सवाई भोज मंदिर के महंत सुरेश दास महाराज ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट में सवाई भोज को राजपूत बताया है, जो सरासर गलत है. सवाई भोज के पिता बाघराव थे. बाघराव के पिता हरिराम थे, वह अजमेर से यहां आए थे. सवाईभोज गुर्जर समाज की चौहान गोत्र के थे. उन्होंने कहा कि बाघराव के 12 रानियां थी. 12 रानियों में से प्रत्येक रानी के दो -दो पुत्र हुए. जिसमें से सबसे बड़े पुत्र सवाईभोज थे. सवाई भोज की पत्नी साडू माता थी. साडू माता मध्य प्रदेश के देवास की गुर्जर समाज में खटाणी गोत्र की थी.