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World Animal Welfare Day 2023 : कभी हर दिन मरती थीं दर्जनों गाय, अब 2 हजार गोवंश से आबाद गौशाला...3.5 करोड़ खर्च कर बदल दी तस्वीर - अपना घर आश्रम ने गौशाला गोद ली

World Animal Welfare Day 2023 :भरतपुर नगर निगम की इकरान गौशाला में गायों की दयनीय हालत देखकर अपना घर आश्रम ने इसे गोद लिया था, जिसके बाद गौशाला में जरूरी सुधार देखने को मिला. अपना घर आश्रम यहां 2 हजार गोवंश की सेवा कर रहा है.

World Animal Welfare Day 2023
गौशाला के बदले हालात

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 4, 2023, 1:18 PM IST

अपना घर आश्रम ने गोद ली गौशाला

भरतपुर.मानव सेवा के लिए खास पहचान रखने वाला अपना घर आश्रम पशु कल्याण और देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भरतपुर नगर निगम की इकरान गौशाला में गायों की दयनीय हालत देखकर अपना घर आश्रम ने पूरी गौशाला ही गोद ले ली. इतना ही नहीं बीते डेढ़ साल में अपना घर आश्रम ने करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च कर पूरी गौशाला की तस्वीर बदल दी है.

आपको बता दें कि पहले इस गौशाला में भूख-प्यास और देखभाल के अभाव में हर दिन करीब दो दर्जन गायों की मौत हो जाती थी, लेकिन अब यहां न केवल मौत का सिलसिला थम सा गया है, बल्कि गायों की संख्या 1100 से बढ़कर 2 हजार पर पहुंच गई है. गौशाला में अब नवजात बछड़े और बछड़ी की अठखेलियां भी देखने को मिल रही हैं.

2022 में लिया गौशाला को गोद: अपना घर के संस्थापक डॉ बीएम भारद्वाज ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले नगर निगम की इकरान गौशाला में गायों की मौत और दयनीय हालात की आए दिन खबरें प्रकाशित होती थीं. ऐसे में हमने गायों की देखभाल के लिए गौशाला को गोद लेने का विचार किया और इस पर नगर निगम सहर्ष ही तैयार हो गया. हमने मई 2022 में गौशाला को गोद ले लिया.

गौशाला के बदले हालात

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ऐसे घटाई गई मृत्युदर : डॉ भारद्वाज ने बताया कि उस समय गौशाला में हर दिन 20 से अधिक गायों की मौत होती थी. ऐसे में हमने यहां की स्थितियों को बेहतर बनाने पर काम शुरू किया. उस समय यहां करीब 8 शेड थे, लेकिन अब यहां 17 शेड हैं. गायों की उचित देखभाल के लिए 30 ग्वाले काम करते हैं. घायल और बीमार गायों के उपचार के लिए निजी स्तर पर उपचार के साथ ही सरकारी चिकित्सक व स्टाफ भी काम करता है. ऐसे में अब भरपूर चारा, देखभाल और उपचार की बदौलत अधिकतर गाय स्वस्थ हालत में हैं. अब हर दिन गंभीर घायल और दयनीय हालत वाली एक या दो गायों की मौत हो रही है.

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डेढ़ साल में बछड़े-बछड़ियों की संख्या बढ़कर हुई 500 पार : डॉ भारद्वाज ने बताया कि पहले गौशाला में हालात इतने खराब थे कि यदि कोई गाय बछड़ा या बछड़ी को जन्म देती तो आवारा कुत्ते उसे नोंच-नोंच कर खा जाते थे. पूरी गौशाला में एक भी बछड़ा-बछड़ी नहीं बचते थे. लेकिन अब डेढ़ साल में गौशाला में जन्म लेने वाले बछड़ा और बछड़ियों की संख्या करीब 500 से अधिक हो गई है.

गौशाला में ऐसे कर रहे देखभाल : गौशाला की जिम्मेदारी संभाल रहे स्वामी विदितात्मानंद तीर्थ ने बताया कि गौशाला में स्वस्थ गाय, अस्वस्थ गाय, दूध देने वाली गाय, नंदी, बछड़े, बछड़ी सभी को अलग अलग शेड में रखा गया है. हर वार्ड का एक गोपालक लगाया गया है. साथ ही कुल करीब 30 ग्वाले गायों के चारे पानी की व्यवस्था और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं. गायों को दिन में दो वक्त चारा डाला जाता है. चारे में खल, चुनी, चापट जैसे पौष्टिक आहार भी दिया जाता है. स्वामी विदितात्मानंद ने बताया कि गौशाला में गौ अभिषेक घाट भी तैयार कराया गया है. इसमें गर्मियों के मौसम में सभी गायों को फव्वारों से स्नान कराया जाता है ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके. इसमें एक साथ 50 गायों को स्नान कराया जा सकता है.

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