भरतपुर. जिले के भांडोर गांव में नीतू लड़कियों के लिए एक मिसाल है. मिसाल इसलिये है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को दुनिया की समझ नहीं होती. उस उम्र में नीतू अपने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठा कर उन्हें बखूबी से निभा रही है. नीतू घर में तो सबसे छोटी है, लेकिन घर चलाने के लिए अपने पिता का बराबर साथ देती है. इतना ही नहीं जो घर की बड़ी जिम्मेदारियां है. उन्हें भी उसने अपने कंधों पर उठा लिया है.
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दरअसल, नीतू के परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है. उसके पिता एक प्राइवेट नौकरी करते है और नीतू 5 बहनें और एक भाई है. ऐसे में नीतू के पिता को घर चलाना काफी भारी हो जाता है. लेकिन जब नीतू ने देखा कि घर की जरूरत ज्यादा है और आमदनी नहीं है तो उसने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठा लिया और करीब 07 साल पहले से दूध बेचने लगी.
नीतू ने दूध बेचने का काम शुरू किया सात साल पहले. जब उसके पिता के सामने घर चलाने के लिए संकट आया. तब नीतू ने फैसला लिया कि वह अपने पिता की घर चलाने में सहायता करेगी. तब नीतू ने साइकिल खरीदी और गांव के घरों में जाकर दूध खरीदना शुरू किया और उस दूध को साइकिल के जरिये शहर लाकर बेचना शुरू किया. कुछ सालों तक नीतू साइकिल से ही इस काम को जारी रखा लेकिन कुछ सालों बाद नीतू ने एक स्कूटी ले ली अब नीतू वही काम स्कूटी से करती है..