भरतपुर. सोचिए जरा कि एक ही मंडप पर हिंदु और मुस्लिम धर्म के जोड़ें एक दूसरे के साथ परिणय सूत्र बंधन में बंध रहे हैं तो कैसा नजारा हो. जी हां. ऐसा हुआ भरतपुर में जब एक ही जगह पर एक जगह पंडित वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे तो वहीं मौलवी निकाह करा रहे थे.
मौका था भरतपुर के 'अपना घर ' आश्रम की ओर से की जा रही बेसहारा लड़कियों की शादी का जिसमें तीन जोड़े परिणय सूत्र बंधन में बंधें. इनमें एक जोड़ा मुस्लिम था और बाकी दो हिंदु थे.
भरतपुर में बही सौहार्द की लहर 'अपना घर ' आश्रम धर्म और जाति से परे बेसहारा लड़कियों को आसरा देता हैं. उन्हें पालकर उनकी उचित जगह पर शादी भी करवाता हैं. यहां वे लड़कियां भी मिलेगी जो मानसिक रूप से विकलांग हैं. तो वे लड़कियां भी मिलेगी जिनको उनके परिवार वालों ने किन्हीं कारणों से छोड़ दिया हैं.
शादी के बंधन में बंधी तीन लड़कियों की कहानी
परवीन उम्र 26 साल जो जम्बू कश्मीर के कुपवाड़ा की रहने वाली है. उसे अपना घर के कर्मचारियों ने 24 अक्टूबर 2017 को भरतपुर के रेलवे स्टेशन से लावारिस हालत में बरामद किया था और उसे अपने घर अपना घर लाया गया जहां उसने बताया कि उसके परिजनों ने उसे मुंबई में एक कोठे पर बेच दिया था लेकिन वह मौका मौका पाकर वहां से भाग निकली. अब वह परिजनों के पास वापस नहीं जाना चाहती. जिस पर अपना घर ही उनके माता पिता बने और आज उसकी शादी की गई.
पूजा उम्र 27 साल जो वेस्ट बंगाल की निवासी है. जिसे दिल्ली की एक संस्था ने लावारिस हालत में बरामद किया और फिर 6 सितंबर 2017 को अपना घर आश्रम लेकर आए. इस युवती की मानसिक हालत ठीक नहीं थी. जिस पर अपना घर संस्था ने उसका इलाज करवाया और अब वह पूरी तरह ठीक है आज उसकी शादी की जा रही हैं.
मीरा उम्र 23 साल इस बच्ची को जयपुर की एक संस्था ने रेलवे स्टेशन से बरामद किया. जब ये बच्ची 2 साल की थी जयपुर की संस्था ने इसे पाल कर बड़ा किया. मीरा 18 साल की हो गई तो इसे भरतपुर के अपना घर आश्रम में भेज दिया क्योंकि जयपुर की संस्था 18 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को अपने पास नही रखती. इन तीनों बेटियों की शादी यहां भरतपुर शहर में एक अच्छे परिवारों के लड़कों के साथ की गई.