बालोतरा (बाड़मेर).कश्मीरी कविराज परिवार के सदस्य मूलरूप से पाली और बाड़मेर जिले के बालोतरा में रह रहे हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद- 370 हटने के बाद कविराज परिवार पीएम मोदी और गृह मंत्री की जमकर तारीफ कर रहा है.
मोदी सरकार के फैसले से कविराज परिवार को जगी उम्मीद कविराज परिवार के सदस्य बताते हैं कि साल 1982 तक श्रीनगर के लाल चौक स्थित हवेली और वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर गांदरबल तहसील में स्थित कविराज की माफिक जागीरदारी के बाकी हिस्सा राशि आ रही थी. इसके बाद राज परिवार से कोई सदस्य वहां नहीं गया और न ही वहां से किराया में आने वाली हिस्सा राशि पहुंचाई गई. जागीर गांव की हिस्सा राशि कश्मीर राज्य सरकार के खाते में जमा हो रही है. जो कि अब उन्हें मिलने की उम्मीद जगी है.
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बता दें कि कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने उन्हें कविराज उपाधि देकर कश्मीर का कविराज बनाया था. कश्मीर कविराज मुरादा दान की श्रीनगर लाल चौक में विशाल हवेली बनी हुई है. जहां वह परिवार के साथ निवास करते थे. कश्मीर के भारत में विलय होने के बाद कविराज मुरादा दान के बड़े बेटे एडवोकेट मोहन सिंह सोजत और छोटे बेटे एडवोकेट शिशुपाल सिंह बालोतरा (बाड़मेर) शिफ्ट हो गए. श्रीनगर की हवेली को 16 अलग-अलग किराएदारों को किराया चिट्ठी बनाकर दे दिया गया. वहीं अपनी जागीरी के बांकुरा गांव के खेतों की नीलामी से आने वाली 40 प्रतिशत हिस्से की राशि लेने वे समय-समय पर वहां जाते रहते हैं.
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कविराज परिवार के सदस्य प्रताप सिंह बताते हैं कि केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से उन्हें उम्मीद जगी है. कश्मीर तो जन्नत है मौका प्रस्तों ने इसे नर्क बना दिया और अब फिर धरती स्वर्ग बनेगी. केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब उनका पूरा परिवार एक राय होकर कोशिश करेगा कि धरती के स्वर्ग पर उनकी प्रॉपर्टी वापस मिले.