बांसवाड़ा. किसी भी नेक काम के लिए उम्र मायने नहीं रखती, बस उसके लिए बड़ा दिल होना जरूरी होता है. भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है. ऐसे समय में शहर के लोगों के लिए लिए पांचवी कक्षा का छात्र अंशुल पवार अनुकरणीय उदाहरण बनकर सामने आया है. उसने सोमवार को केक के स्थान पर अपनी बचत राशि को आपदा राहत कोष में जमा करा जन्मदिन को यादगार बनाया.
कोरोना बचाव के लिए कलेक्टर को भेंट किए 11 हजार शहर के कंधार वाडी इलाके में रहने वाले अंशुल के इस कदम की हर कोई प्रशंसा कर रहा है. उसके पिता कल्पेश पवार टेलरिंग का काम करते हैं. साथ ही पार्ट टाइम इंश्योरेंस का काम भी संभालते हैं. अंशुल अपनी जेब खर्च की राशि को लंबे समय से गुल्लक में जमा कर रहा था. ऐसे में सोमवार को उसका 11 वां जन्मदिन था, तो उसने अपने दादा हरिलाल पवार और पिता को अपने मन की बात बताई.
अंशुल ने अपने पिता और दादा के समक्ष बचत राशि कोरोना से बचाव के लिए आपदा राहत कोष में जमा कराने की इच्छा जताई. पिता और दादा ने इस सोच के लिए उसे शाबाशी देते हुए स्वीकृति दे दी. लेकिन लॉक डाउन के चलते अकेले कलेक्ट्रेट पहुंचना मुश्किल था. पड़ोसी विवेक वीर वैष्णव उसे लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. इस दौरान कोरोना को लेकर जिला कलेक्टर कैलाश बेरवा अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग रह रहे थे.
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मीटिंग खत्म होने के बाद कलेक्टर बेरवा कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां अंशुल ने अपनी जेब खर्च की राशि 11000 का चेक उन्हें भेंट किया. छोटी सी उम्र में उसके इस प्रयास की अधिकारियों ने भी प्रशंसा की. अंशुल ने बताया कि दादा हरिलाल और पिता कल्पेश के साथ माता कामिनी से भी उसे काफी प्रेरणा मिली.